लखनऊ: भारतीय जनता पार्टी ने अखिलेश सरकार से सवाल किया कि दुनिया भर से आये ट्रेवल राइटर्स को उत्तर प्रदेश का कौन सा सच दिखा रहे है। पार्टी प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने कहा कि एक तरफ बिसाहड़ा मामले को लेकर राज्य के वरिष्ठ कबीना मंत्री अर्नगल अनाप-शनाप बयानबाजी करने में जुटे है, वहीं दूसरी तरफ वाराणसी में प्रशासनिक अराजकता के बाद हुए बवाल के कारण हजारों की संख्या में पर्यटकों के फंसे होने की खबरों को विदेशी ट्रैवल राइटर्स किस रूप में लेगे। क्या इन खबरों से उत्तर प्रदेश की तस्वीर दुनियाभर में खराब नहीं होगी ?

पार्टी के राज्य मुख्यालय पर पत्रकारों से वार्ता करते हुए प्रदेश प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने कहा कि देश के इतिहास में शायद यह पहला मामला होगा कि जब किसी राज्य का मंत्री अपनी सरकार की नाकामी की गाथा यू0एन0 में ले जाने के लिए पत्र लिख रहा है। उ0प्र0 की कानून व्यवस्था को दुरूस्त रखने की जिम्मेदारी राज्य सरकार की है। मुख्यमंत्री स्वयं गृह मंत्री का भी कार्य देख रहे हैं। ऐसे में यदि कोई अप्रिय वारदात होती है तो उसके लिये किसे दोषी ठहराया जायेगा ? प्रदेश के मंत्री द्वारा आंतरिक मामलों को यू.एन. में ले जाने की कोशिश को क्या कहा जायेगा।

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव कह रहे है कि सोची समझी साजिश के तहत दंगा कराने की कोशिश हो रही हो। मुख्यमंत्री की जानकारी में जब सब कुछ है तो उस पर बयानबाजी के बजाय कार्यवाही क्यों नहीं करते। आखिर वाराणसी विवाद में कमी कहां रही। जिस विषय को मुख्यमंत्री गंभीरता से लेते है, उसे उनके अधिकारी गंभीरता से क्यों नहीं लेते। वाराणसी विवाद में एक बार फिर प्रशासनिक संवादहीनता उजागर हुई। प्रतिकार यात्रा की अनुमति को लेकर विरोधाभाषी बयान है, आखिर यह भ्रम और असमंजस क्यो ? उन्होंने कहा कि जिस लाठी चार्ज मामले को लेकर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव मजिस्ट्रेटी जांच की बात कह चुके है, उसी लाठीचार्ज पर राज्य के डीजीपी ने कहा कि उनकी जानकारी में नहीं है, जिसने किया उससे पूछे।

श्री पाठक ने कहा जब ट्रेवल राइटर्स प्रदेश के दौरे पर है, तो मुख्यमंत्री संकेत दे रहे है कि प्रदेश में दंगा कराने की साजिश हो रही है, ऐतिहासिक वाराणसी शहर में विवाद के कारण हजारों पर्यटक सहम कर अपने-अपने होटलों के कमरो में रहने को मजबूर हो जाते है। धर्म के नाम पर राजनीति की बात कानक्लेब में करते मुख्यमंत्री अखिलेश यादव  यह क्यों नहीं बताते कि प्रदेश में मौत पर भी सियासत होती है। मुआबजे तक के वितरण में भेदभाव होता है।