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यूएन से पहले अखिलेश को पत्र लिखें आज़म: भाजपा

लखनऊ: भारतीय जनता पार्टी ने अखिलेश सरकार से सवाल किया कि राज्य में खतरनाक और एलारमिंग हालात के लिए जिम्मेदार कौन है ? प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने कहा कि दादरी के बिसाहड़ा काण्ड में अपनी जिम्मेदारी का निर्वाहन न कर पाने के आरोपो से घिरी अखिलेश सरकार राजनैतिक बयानबाजी कर पूरे प्रकरण को राजनैतिक रूप देने में जुटी है। राज्य के आमजन सुरक्षित रहे, यह जिम्मेदारी राज्य प्रशासन की है, यूएन में आजम खां द्वारा चिट्ठी लिखे जाने पर श्री पाठक ने कहा कि पहले मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को पत्र लिखकर समझ लेते।

सोमवार को राज्य मुख्यालय पर कैबिनेट मंत्री आजम खां के बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए प्रदेश प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने कहा कि नाकामी अखिलेश सरकार की सवाल मोदी से। आखिर उत्तर प्रदेश की खतरनाक स्थिति को नियंत्रण करने की जिम्मेदारी किसकी थी राज्य के गृह विभाग का भी जिम्मा संभाल रहे मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने समय के घटना को लेकर क्यों नहीं कार्यवाही की। आखिर धारा 144 लगे होने के बाद कैसे उसका उलंघन होता रहा। जब हालात सामान्य किये जाने की आवश्यकता थी तो सरकार में बैठे लोग विभेदपूर्ण बयानबाजी क्यों कर रहे है। एक सप्ताह बीत जाने के बाद भी वातावरण सामान्य हो इस दिशा में क्या प्रयास किये गये ?

उन्होंने कहा आजम खां यूएन में मामला उठाने के पहले बेहतर होता मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के सामने उठाते, क्यों कि राज्य के खराब हालात के लिए सबसे बेहतर प्रश्नों का जबाव वही दे सकते है। कानून व्यवस्था राज्य का विषय है, और संभवता आजम खां कानून व्यवस्था के विषय को लेकर ही ये बात कह रहे है। जिन पर समाधान की जिम्मेदारी है वे राजनैतिक रोटी सेकने में जुटे है। इसलिए सवाल दादरी पर होता याद 6 दिसम्बर 1992 के करते है।

श्री पाठक ने कहा कि भाजपा के रवैये की नैतिकता परखते सपा प्रवक्ता अपनी पार्टी नेताओं की नैतिकता परखे। जो कह रहे है कि हमारा भविष्य क्या होगा। हमारे अधिकार होंगे कि नहीं, रूतबा मंत्री का सवाल की 18 प्रतिशत मुसलमानों का क्या होगा। जो सवाल खड़े कर रहे है, उन्होंने क्या किया इस पर भी विचार कर ले। उन्होंने कहा कि विसाहड़ा काण्ड में अपनी नाकामी को मुआवजे के मरहम से भरने में जुटी अखिलेश सरकार बयानबाजी की बजाय वहां सामान्य हालात हो इसका प्रयास करे। गांव और आसपास सौहार्द का वातावरण बनाने के प्रयास किये जाये। दोषियों पर कड़ी कार्यवाही हो किन्तु अनावश्यक रूप से उत्पीड़न न हो। 

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