नयी दिल्ली : पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सीबीआई को बताया है कि उन्होंने तत्कालीन कोयला सचिव पी सी पारेख की सलाह पर हिंडाल्को को तालाबीरा-2 कोयला ब्लॉक आवंटित करने के ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के अनुरोध को मंजूर किया था जिसका प्रधानमंत्री कार्यालय के अधिकारियों ने अध्ययन किया था। सिंह ने कहा कि कुमार मंगलम बिड़ला की हिंडाल्को को कोयला ब्लॉक का आवंटन नहीं किये जाने की समीक्षा करने के अनुरोध के लिए पटनायक द्वारा लिखे गये पत्र की वजह से मामला फिर से खुला।

तालाबीरा-2 कोयला ब्लॉक आवंटन में कथित घोटाले की जांच के दौरान सीबीआई ने सिंह से पूछा था, जब प्रधानमंत्री के तौर पर आपको भेजे गये नवीन पटनायक के 17 अगस्त, 2005 के पत्र में मैसर्स हिंडाल्को की महत्वपूर्ण परियोजना के लिए केवल जरूरी कोयला लिंकेज मुहैया कराने का अनुरोध किया गया था, जो पहले ही आवंटित किया जा चुका था, तो आपने तालाबीरा-2 कोयला ब्लॉक में हिंडाल्को को हिस्सेदारी देने के लिए मंजूरी क्यों दी थी? इसका जवाब देते हुए सिंह ने कहा, ओडिशा के मुख्यमंत्री के इस पत्र में तालाबीरा-2 कोयला ब्लॉक का मैसर्स हिंडाल्को इंडस्ट्रीज लिमिटेड को आवंटन करने के बारे में भी उल्लेख था। कोयला मंत्रालय को इसका अध्ययन करने की जरूरत थी।

उस समय कोयला मंत्रालय का भी प्रभार संभाल रहे सिंह ने कहा, कोयला मंत्रालय ने यह व्याख्या की कि पत्र में तालाबीरा-2 कोयला ब्लॉक के आवंटन के मुद्दे के संबंध में अनुरोध किया गया था। पीएमओ के अधिकारियों द्वारा अध्ययन किये जाने के बाद मैंने सिफारिश को मंजूर किया। उन्होंने कहा, कंपनी को कोयला लिंकेज के बजाय कोयला ब्लॉक आवंटित करना आर्थिक रूप से अधिक लाभकारी हो सकता था क्योंकि कोयला ब्लॉक से निकले कोयले की कीमत कोयला लिंकेज से निकले कोयले की कीमत से बहुत सस्ती है, इस प्रश्न के संबंध में मेरा कहना है कि निजी क्षेत्र के सभी आवंटनों के बारे में यह सच है।

सिंह ने आगे कहा कि अगर तर्कों की बात करें तो फिर तो सरकार को निजी क्षेत्र के लिए कोई आवंटन नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा, इस संदर्भ में, ओडिशा के मुख्यमंत्री के 17 अगस्त, 2005 के पत्र में तालाबीरा-2 के आवंटन के लिहाज से हिंडाल्को के पक्ष में की गयी सिफारिश प्रासंगिक है। बिड़ला ने पत्र लिखकर सरकार से अनुरोध किया था कि कोयला ब्लॉक के लिए हिंडाल्को के नाम पर विचार नहीं करने के फैसले में बदलाव किया जाए, तब पटनायक ने फैसले की समीक्षा करने का अनुरोध किया था।

विशेष अदालत ने सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट को स्वीकार करने से मना करते हुए मामले में आरोपियों के तौर पर सिंह, पारेख, बिड़ला और अन्य को सम्मन भेजा था। इन सभी ने मामले में किसी गड़बड़ी की बात से इनकार किया है। उच्चतम न्यायालय ने एक अप्रैल को उन्हें आरोपियों के तौर पर तलब करने के निचली अदालत के आदेश पर रोक लगा दी थी। सिंह ने कहा कि कोयला मंत्रालय ने पटनायक के पत्र की व्याख्या ब्लॉक आवंटित करने के अनुरोध के संदर्भ में की थी, वहीं पारेख ने हिंडाल्को को हिस्सेदारी में शामिल करने का प्रस्ताव भेजा था।

पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा, जब पीएमओ के अधिकारियों ने इसका अध्ययन कर लिया, उसके बाद मैंने इसे मंजूर किया। सिंह ने कहा कि मुद्दा यह पता लगाने का था कि सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम ‘नेवली लिग्नाइट कॉपरेरेशन लिमिटेड (एनएलसी)’ के हितों को नुकसान पहुंचाये बिना हिंडाल्को को शामिल किया जा सकता है या नहीं।

सिंह ने कहा, इस सवाल पर कि मैंने तालाबीरा-2 कोयला ब्लॉक के कोयले में हिंडाल्को को हिस्सेदारी देने के कोयला मंत्रालय के सचिव के प्रस्ताव को मंजूर क्यों किया, जबकि स्क्रीनिंग कमेटी ने अपने बैठक वृतांत में उल्लेख किया था कि 3.06 एमटीपीए का कोयला लिंकेज पहले ही हिंडाल्को को आवंटित कर दिया गया है जो 650 मेगावाट के विद्युत संयंत्र की संपूर्ण जरूरत को पूरा करने के लिए पर्याप्त है और आदित्य एल्युमिनियम प्रोजेक्ट के लिए अलग से कोई कोयला ब्लॉक दिये जाने की जरूरत नहीं है, इस प्रश्न पर मेरा कहना है कि मैंने सचिव (कोयला) की सलाह मानी जिन्हें पीएमओ के अधिकारियों ने संस्तुति दी थी।

उन्होंने कहा, ओडिशा के मुख्यमंत्री पटनायक के पत्र की वजह से पूरा मामला फिर से खुला। 25वीं स्क्रीनिंग कमेटी के अनुसार हिंडाल्को समेत अनेक कंपनियों के मामले में अनुकूल विचार नहीं किया गया था और तालाबीरा-2 कोयला ब्लॉक का आवंटन एनएलसी को करने का फैसला किया गया था।