नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के डिजिटल इंडिया प्रोग्राम पर एक और विवाद पैदा हो गया है। ताजा विवाद अंकित फाडिया को कार्यक्रम का ब्रैंड ऐंबैसडर बनाए जाने को लेकर है। सरकार ने पहले तो मंगलवार को इस तरह की नियुक्ति से इनकार किया, लेकिन बाद में शाम तक फाडिया और तीन अन्य को ब्रैंड ऐंबैसडर नियुक्त किए जाने की पुष्टि कर दी।

खुद को ऐथिकल (नैतिक) हैकर कहने वाले 30 साल के अंकित फाडिया को प्रोग्राम का ब्रैंड ऐंबैसडर बनाए जाने की खबर जहां पहले से मीडिया में चल रही थी, वहीं इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) विभाग ने मंगलवार सुबह पहले इस तरह के दावे का खंडन करते हुए एक बयान जारी किया।

सुबह के बयान में कहा गया था, ‘सरकार के डिजिटल भारत कार्यक्रम के लिए ब्रैंड ऐंबैसडर नियुक्त करने की खबरें आ रही हैं। यह स्पष्ट किया जाता है कि ब्रैंड ऐंबैसडर नियुक्त करने की ऐसी कोई कवायद नहीं की जा रही है।’

रोचक यह है कि सरकार के प्रचार वेबसाइट पर पोस्ट जारी करने के एक घंटे के बाद ही उसे हटा लिया गया। शाम में हालांकि विभाग ने फाडिया सहित सतवत जगवानी और कृति तिवारी (दोनों भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान की टॉपर) और सैमसंग यूएसए के कंप्यूटर वैज्ञानिक प्रणब मिस्त्री को ब्रैंड ऐंबैसडर नियुक्त किए जाने की पुष्टि कर दी।

इस बीच फाडिया नियुक्ति को लेकर उहापोह में थे। फाडिया ने नियुक्ति की पुष्टि होने से पहले कहा कि उन्हें एक जुलाई को नियुक्ति पत्र दिया गया था, जिस पर तत्कालीन सूचना प्रौद्योगिकी सचिव राम सेवक शर्मा का हस्ताक्षर है, जो अब भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) के अध्यक्ष हैं।

फाडिया ने एसएमएस में कहा, ‘हां! मैंने कल फेसबुक पर प्रमाणपत्र पोस्ट किया था। हमारे पास सरकार द्वारा भेजा गया ईमेल भी मौजूद है।’

फाडिया के फेसबुक पोस्ट में कहा गया है, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के डिजिटल भारत कार्यक्रम के ब्रैंड ऐंबैसडरों में एक के रूप में नियुक्त किए जाने के लिए आभारी और गौरव महसूस कर रहा हूं।’