बैंकों से जमा पूँजी  निकाल रहे हैं पटेल समुदाय के लोग 

अहमदाबाद: उत्तरी गुजरात के खेरोल गांव में सुबह-सुबह बैंक खुलते ही वहां दिखाई दिए रिटायर्ड सरकारी नौकर बाबूभाई पटेल, जो बैंक में जमा अपना पैसा निकालने आए थे। उन्होंने ‘सरकार के प्रति विरोध’ जताने के लिए अपना खाता खाली कर दिया है।

बाबूभाई का कहना है, “इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि मुझे ब्याज मिलता है या नहीं, लेकिन मैं बैंक से दो लाख रुपये की एफडी खत्म कर रहा हूं, क्योंकि सरकार को हमारी परेशानियां और हमारी बात तभी समझ आएगी, जब हम आर्थिक रूप से उनका साथ देना बंद कर देंगे…”

70-वर्षीय बाबूभाई पाटीदार या पटेल समुदाय के उन हज़ारों सदस्यों में शामिल हैं, जो परंपरागत रूप से समृद्ध और शक्तिशाली हैं, और अब 22-वर्षीय हार्दिक पटेल के साथ आ गए हैं, ताकि सरकारी नौकरियों और यूनिवर्सिटी में दाखिलों में हिस्से की मांग कर सकें।

पाटीदार या पटेल समुदाय परंपरागत रूप से सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का समर्थक रहा है, लेकिन अब यही साबित करने के लिए कि वे दूर भी जा सकते हैं, वे को-ऑपरेटिव बैंकों में जमा अपना पैसा निकाल रहे हैं, ताकि सरकार को झटका दिया जा सके।

उत्तरी गुजरात के पटेल-बहुल वडराड गांव में एक बैंक के मुताबिक सिर्फ सोमवार को ही उसके पास मौजूद खातों में से 27 लाख रुपये निकाल लिए गए। अब वडराड से 15 किलोमीटर दूर खेरोल गांव में बुधवार को बैंक के सामने पटेलों की लाइन लगी हुई है, जो पैसा निकालने के लिए खड़े हैं।

गौरतलब है कि कुछ ही हफ्ते पहले हार्दिक पटेल ने एक ही रैली के जरिये पूरे अहमदाबाद को अपने रंग में रंग दिया था, जिसके बाद कुछ देर के लिए उसे गिरफ्तार भी किया गया, जिससे दो दिन तक अहमदाबाद के अलावा सूरत और वड़ोदरा में भी हिंसक घटनाएं होती रहीं। मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल भी कह चुकी हैं कि राज्य सरकार आरक्षण से जुड़ी अपनी सकारात्मक नीति में पटेलों को शामिल करने के लिए कोई बदलाव नहीं कर सकती।

गुजरात की लगभग छह करोड़ की आबादी में 14 फीसदी हिस्सेदारी रखने वाले पटेल दरअसल कभी खेतिहर ज़मीनों के मालिक किसान हुआ करते थे, जो कालांतर में हीरों की पॉलिश करने जैसे कारोबारों में शामिल होते गए। लेकिन अब उनका कहना है कि उनके युवाओं को यूनिवर्सिटी स्तर की पढ़ाई और सरकारी नौकरियों से दूर रखा जा रहा है, और ऐसी जातियों के लोगों के लिए आरक्षित कर दिया गया है, जिन्हें ज़्यादा पिछड़ा समझा जाता है, और जिन्हें मुख्यधारा में लाने की ज़रूरत समझी जाती है।

हार्दिक पटेल का कहना है कि अब देश के प्रधानमंत्री बन चुके नरेंद्र मोदी 13 साल के अपने मुख्यमंत्रित्व काल में गुजरात में विकास का ऐसा मॉडल तैयार करने में विफल रहे, जिससे सभी जातियों और वर्गों को लाभ पहुंचे। इसके बजाए वह ऐसी नीतियां बनाते रहे, जिनसे बड़े व्यापारों और व्यापारियों को फायदा पहुंचे। गौरतलब है कि यही आरोप कांग्रेस तथा अन्य विपक्षी दल भी सत्तासीन बीजेपी पर लगाते रहे हैं।