लखनऊ: मैं आज जो बता रहा हूँ उसे भूलना नहीं बल्कि अपने जीवन में उतारो। उम्र में बडे़ एवं छोटे, दोनों एक दूसरे का सम्मान करें। समाज में आगे बढ़ना है तो स्वयं में विशेषज्ञता पैदा करो। केवल किताबी कीड़ा न बनकर चुनौतियों को स्वीकारने से जीवन में लाभ मिलेगा। अच्छी शिक्षा प्राप्त करके आगे बढ़ने का प्रयास करों जिससे परिवार का, स्कूल का, प्रदेश का एवं देश का नाम बढे़गा। 

उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने आज बाल विद्या मंदिर, सीनियर सेकेन्ड्री स्कूल, लखनऊ के वार्षिकोत्सव एवं पुरस्कार वितरण समारोह में बच्चों को सम्बोधित करते हुए उक्त बाते कही। उन्होंने कहा कि अपनी मातृभाषा का सम्मान करें। प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा में होने से बच्चों का विकास तेजी से होता है। उन्होंने कहा कि यह गौरव की बात है कि बाल विद्या मंदिर की स्थापना उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री स्व0 चन्द्रभानु गुप्ता ने की थी और उद्घाटन पूर्व प्रधानमंत्री स्व0 लाल बहादुर शास्त्री ने किया था। 

श्री नाईक ने इस अवसर पर व्यक्तित्व विकास एवं सफलता के चार मंत्र बताते हुए कहा कि उन्होंने अपने गुरू से सीखा था जिसका अपने जीवन में प्रयोग किया और वे कह सकते हैं कि उनका जीवन सफल रहा। सफल भविष्य के लिये सदैव प्रसन्नचित रह कर मुस्कराते रहे। दूसरे के अच्छे गुण की प्रशंसा करें तथा अच्छे गुणों को आत्मसात करने की कोशिश करें। दूसरों को छोटा न दिखाये और हर काम को और बेहतर ढंग से करने का प्रयास करें।

राज्यपाल ने इस अवसर पर मेधावी छात्रों एवं शिक्षकों को स्मृति चिन्ह व प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया। समारोह में उज्जवल निगम, अंकुश अग्रवाल, अनिकेत गोयल, कु0 चारू सिंह, कु0 मीमान्सा शुक्ला एवं अभिषेक मित्तल को स्वर्ण पदक तथा कु0 स्वाति गुप्ता को सुश्री माधुरी शरण छात्रवृत्ति व तुषार सहाय को विशेष प्रोत्साहन सम्मान प्रदान किया गया। कार्यक्रम में अवकाश प्राप्त न्यायमूर्ति खेमकरन ने स्वागत उद्बोधन दिया। विद्यालय के प्रधानाचार्य  आर0के0 पाण्डेय ने वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत की तथा विद्यार्थियों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किये गये। पूर्व डीजीपी श्रीराम अरूण ने धन्यवाद ज्ञापित किया।