लातूर (महाराष्ट्र): कुर्ता-पायजामा पहने और आस्तीन चढ़ाए हुए नाना पाटेकर माइक थामकर खुदकुशी करने वाले किसानों की विधवाओं का नाम पुकारते हैं। 64-वर्षीय अभिनेता बारी-बारी से उन महिलाओं को 15,000 रुपये का चेक सौंपते हैं और नमस्ते कहकर उनका अभिवादन करते हैं। नाना पाटेकर का कहना है कि किसानों की मदद करना अब उनके जीवन का मिशन है।

नाना पाटेकर महाराष्ट्र के मराठवाड़ा और विदर्भ में अपना सप्ताहांत बिताते हैं। इन इलाकों में किसानों की खुदकुशी के कई मामले सामने आ चुके हैं। लातूर में उपस्थित लोगों से वह कहते हैं, खुदकुशी करना समस्या का हल नहीं है। मैं किसानों से आग्रह करता हूं कि ऐसा कोई कदम न उठाएं।

नाना पाटेकर कहते हैं, मैं किसानों को मरता देखकर अपने घर में बैठा नहीं रह सकता। जरा सोचिए कैसे महसूस होता है, जब 100 से अधिक विधवाएं इन चेकों के लिए लाइन में खड़ी होकर इंतजार करती हैं। मैं परेशान महसूस करता हूं। उन लोगों के लिए इससे बड़ी कोई शर्म नहीं हो सकती है।

नाना पाटेकर ने कहा कि लोकप्रिय मराठी कलाकार मकरंद अनासपुरे ने उनसे इस अभियान में शामिल होने को कहा। वह कहते हैं, बारिश नहीं हुई, इसलिए कोई सरकार को दोष नहीं दे सकता। लेकिन बीजेपी, कांग्रेस और एनसीपी को किसानों के हित के लिए साथ आना होगा।

शुरू में नाना पाटेकर ने अपने पैसों से किसानों की मदद शुरू की थी, लेकिन अब उनके अभियान में दुनिया भर से लोग अपना-अपना योगदान दे रहे हैं। नाना पाटेकर कहते हैं, किसानों की समस्याएं जितनी जटिल हैं, उसका खतरनाक प्रभाव हो सकता है। उन्होंने कहा, किसानों की क्रांति हो सकती है। अगर किसान खुद की जान दे सकता है, वे दूसरों की जान भी ले सकते हैं। और अगर ‘क्रांति’ की यह सोच बनती है, तो किसान नक्सली भी बन सकते हैं।

उन्होंने कहा, मैं भी गरीब परिवेश से आया हूं। मैंने 13 साल की उम्र से काम करना शुरू कर दिया था और दिन में एक बार खाना खाता था। मैं उनकी तकलीफ समझता हूं, लेकिन मैंने खुदकुशी नहीं की, कभी हौसला नहीं छोड़ा। उनके प्रयासों से 300 से अधिक विधवाओं को आर्थिक मदद मिल चुकी है और कम से कम 700 विधवाओं की मदद करना चाहते हैं। लोगों को किसानों की मदद करनी होगी। मैं अपील नहीं कर रहा हूं, बल्कि लोगों से कह रहा हूं, किसानों की मदद कीजिए।