लखनऊ। उत्तर प्रदेश में ग्र्राम प्रधान चुनाव की तैयारी कर रहे उम्मीदवारों को भी अपनी संपत्ति और आपराधिक मुकदमों का ब्योरा देना होगा। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि मतदाताओं को यह जानने का अधिकार है। अब तक लोकसभा या विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी इस आशय का हलफनामा दाखिल करते आए हैं। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में उम्मीदवार इसकी उपेक्षा करते थे।

मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड और न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने कपिलवस्तु वेलफेयर सोसाइटी की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किए। कोर्ट ने कहा कि इस संबंध में पहले से निर्धारित प्रावधानों का पालन किया जाए। याची की ओर से अधिवक्ता अनिल सिंह बिसेन और अग्निहोत्री कुमार त्रिपाठी ने कहा कि ग्राम प्रधान का चुनाव लडऩे वाले उम्मीदवारों से इस आशय का हलफनामा लिया जाना चाहिए कि क्या उनके खिलाफ कोई आपराधिक मुकदमा लंबित है, अथवा वह सजायाफ्ता या विचाराधीन अपराधी है। उम्मीदवार उसकी पत्नी या पति और आश्रित की आमदनी का ब्योरा भी लिया जाना चाहिए। याची के वकील ने कोर्ट के समक्ष यूनियन ऑफ इंडिया बनाम एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिव रिफार्म में पारित सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का हवाला भी दिया कि मतदाता को उम्मीदवार के बारे में यह जानकारियां प्राप्त करने का अधिकार है। निर्वाचन आयोग के अधिवक्ता ने बताया कि यह प्रावधान पहले से लागू है तथा प्रचलन में है। कोर्ट ने याचिका इस निर्देश के साथ निस्तारित कर दी कि इन प्रावधानों का पालन किया जाना चाहिए।