सेल्स सटिसफेक्शन में महिन्द्रा टोयोटा सबसे आगे  

भारत में नए वाहनों की खरीदारी में वृद्धि हुई है. इससे डीलरों ने कस्टमर परचेज को सटिस्फाई करने की जगह सेल्स कंवर्जन पर ज्यादा ध्यान दिया है. यहा तथ्य जेडी पावर एशिया पैसिफिक 2015 की इंडिया सेल्स सैटिसफेक्शन इंडेक्स स्टडी की आज जारी रिपोर्ट से सामने आया है. 

स्टडी में  उन सात कारकों की जांच हुई  है जो नए वाहन मालिकों को सम्पूर्ण संतुष्टि देने का काम करते है. इसमें शामिल है, डिलिवरी प्रक्रिया, डिलिवरी समय, विक्रेता, सेल्स इनिशिएशन, डीलर सुविधा, कागजी कार्रवाई और डील. यह सैटिसफेक्शन 1000 प्वायंट के पैमाने पर मापा गया है. 

मास मार्केट सेगमेंट में ओवर आल सैटिसफेक्शन 851 रहा यह 2014 के मुकाबले 6 पाॅईंट कम है. करीबन 5 में एक ग्राहक अपने नए वाहन के परचेज प्रोसेस, निगिसिएशन, डिलिवरे एकमिटमेंट और डिलिवरी प्रोसेस से असंतुष्ट था. 

जेडी पावर एशिया पैसिफिक के कार्यकारी निदेशक मोहित अरोड़ा ने कहा कि सेल्सस कंवरजन पर अधिकतम प्रतियोगात्मक दबाव से फोकस सेल्स ड्रिवेन हुआ है जो ग्राहक संतुष्टि को प्रभावित करता है। अध्ययन के निष्कर्ष बताते है कि खरीद के कारण विभिन्न जनसांख्यिकी में अलग होते है. युवा खरीदारों का एक बड़ा अनुपात (30 साल और छोटी) वाहन डिजाइन, प्रदर्शन और फीचर्स पर ध्यान देता है बजाए अन्य आयु समूहों के (43 फीसदी बनाम 35 फीसदी). इसके अतिरिक्त, वाहन खरीद के लिए जानकारी जुटाने में इंटरनेट युवाओँ के बीच एक बडा स्त्रोत है बजाए अन्य आयु समूहो के (32 फीसदी बनाम 26 फीसदी).