लखनऊ । भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माक्र्सवादी) का उ0प्र0 राज्य सचिव मण्डल सरकार द्वारा हड़बड़ी में विपक्ष की गैर हाजिरी के समय पारित कराये गये लोकायुक्त नियुक्ति से सम्बन्धित विधेयक को जल्दबाजी में उठाया गया एक गलत कदम मानती है। विधेयक को एकाएक पेश करके पारित कराना प्रजातंत्र की स्वस्थ परम्पराओं के अनुरूप नहीं है। नियुक्ति के लिए जिस कमेटी का प्राविधान किया गया और बिना किसी ठोस आधार के उच्च न्यायालय के न्यायाधीश को उससे अलग कर दिया गया इससे स्पष्ट संदेश यह जाता है कि ‘‘सरकार अपने व्यक्ति को लोकायुक्त की कुर्सी पर देखना चाहती है।’’ इससे न केवल पद की गरिमा गिरती है अपितु भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम को भी बड़ा धक्का लगता है। लोकायुक्त की निष्पक्षता पर भी प्रश्नचिन्हत लग जाता है।

अतः राज्य सचिव मण्डल मांग करता है कि इस विधेयक को वापस लिया जाय। नियुक्ति की पुरानी पद्धति को जारी रखा जाय।