मुख्यमंत्री तक पहुंची गुहार पर भी कार्रवाई सिफर

लखनऊ। उत्तरप्रदेश  संगीत नाटक अकादमी के सन् 1972 में स्थापित जिस ‘कथक केन्द्र’ के निदेशक पद को लास्य सम्राट लच्छू महाराज, गुरु अच्छन महाराज के शिष्य  गुरु विक्रम सिंघे, गुरु दमयन्ती जोशी , गुरु अर्जुन मिश्र, शम्भू महाराज के पुत्र राममोहन महाराज, लच्छू महाराज की प्टशिष्या  गुरु कपिला राज ने सुषोभित कर लखनऊ घराने की कथक परम्परा को आगे बढ़ाया, वहां आज इस पद पर कोई भी विख्यात कथक कलाकार नहीं है। जुलाई मध्य में प्रैक्टिकल टीचर सुरेन्द्र सैकिया के दिवंगत हो जाने के बाद केन्द्र में कथक प्रशिक्षण की स्थिति और विशम व बाधित हो गई है। 

अकादमी से सम्बद्ध कथक केन्द्र में कथक केन्द्र में जून 2012 में स्वर्गीय गुरु कपिला राज के सेवानिव्त्त हो जाने के बाद से नियमित निदेशक नहीं है। इस कारण से निदेशक द्वारा संचालित होने वाली सीनियर विद्यार्थियों की कक्षाएं लगभग पिछले सवा तीन साल से बंद हैं। निदेशक पद का अतिरिक्त दायित्व राष्ट्रीय  कथक संस्थान की सचिव के पास है। दुर्भाग्य से 16 जुलाई 2015 को केन्द्र के षिक्षक टाॅप ग्रेड आर्टिस्ट सुरेन्द्र सैकिया के निधन के बाद से प्रशिक्षण और बाधित हो गया। विशेष रूप से सुरेन्द्र सैकिया से प्रशिक्षण लेकर कुशल नृत्यांगना हो चुकी सीनियर छात्राओं के लिए अब केन्द्र में योग्य शिक्षक नहीं हैं। इन सीनियर छात्राओं के सामने केन्द्र छोड़ने की स्थिति पैदा हो गई है। केन्द्र की 15 छात्राएं निर्बाध प्रषिक्षण के लिए योग्य प्रैक्टिकल टीचर रखने के विशय में सस्कृति मंत्री, सचिव संस्कृति व अकादमी सचिव को लिखकर बता चुकी है कि वर्तमान हालात से मजबूरन उन्हें केन्द्र छोड़ने को विवष होना पड़ सकता है। 

कथक नृत्य से प्रषिक्षित कलाकारों की शृंखला में टाॅप ग्रेड आर्टिस्ट प्रो.कुमकुम धर, शृंगारमणि कुमकुम आदर्ष, डा.षषि भारद्वाज, सुश्री चैताली पाल, पाली श्रीवास्तव, डा.राकेष प्रभाकर, डा.शिखा खरे, पं.ओमप्रकाश  महाराज, सूफी नृत्यांगना मंजरी चतुर्वेदी, आकांक्षा मिश्रा, अर्चना तिवारी, सुरभि शुक्ला, फरहाना परवीन, मंदाकिनी शर्मा, स्वेच्छा सिंह आदि अनेक कलाकार हैं जिनमें से बहुतों ने देश  ही नहीं विदेशो  में भी प्रदर्शन  कर लखनऊ घराने की कथक परम्परा को प्रचार-प्रसार किया है। राजधानी क मूर्धन्य व कलाकार-कलाप्रेमी डा.योगेश  प्रवीन, डा.उर्मिलकुमार थपलियाल, प्रो.कुमकुम धर, कुमकुम आदर्श , सुरभि सिंह, राजीव शुक्ल, कमला कांत आदि के साथ ही कला विचारक रवि, कलाकार एसोसिएशन के अध्यक्ष संगम बहुगुणा, संस्कृति विभाग कर्मचारी संघ से सम्बद्ध अकादमी कर्मचारी संध एवं कथक केन्द्र कर्मचारी संघ के अध्यक्ष सुरेषचन्द्र भी इस संदर्भ में अकादमी के पदेन अध्यक्ष व प्रदेश  के मुख्यमंत्री, संस्कृति मंत्री, मुख्य सचिव व अकादमी सचिव को केन्द्र में बदतर होती प्रशिक्षण  की स्थिति से पत्र लिखकर अवगत कराने के साथ निदेशक व प्रैक्टिकल टीचर के पद पर राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर के स्थापित कथक कलाकार की मांग कर चुके हैं ताकि अकादमी के केन्द्र का धूमिल पड़ता गौरव कायम रह सके।