लखनऊ: भ्रष्टाचार में आकण्ठ डूबी उत्तर प्रदेश की  समाजवादी पार्टी की सरकार अभी यादव सिंह प्रकरण पर सर्वोच्च न्यायालय की फटकार सुनने के बाद भी अपने क्रियाकलापों में कोई भी परिवर्तन नहीं लायी। प्रदेश सरकार की हठधर्मिता के चलते लोकायुक्त का पद जो भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने में सक्षम है दो वर्षों से विवादों में फंसा हुआ है। 

प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री एवं प्रवक्ता सिद्धार्थ प्रिय श्रीवास्तव ने आज कहा कि लोकायुक्त की नियुक्ति के मुद्दे पर  उच्च न्यायालय, राज्यपाल एवं उत्तर प्रदेश सरकार के बीच जो ज्वलंत सवाल संवैधानिकता को लेकर फंसा हुआ है, प्रदेश सरकार नियमों का हवाला देकर लोकायुक्त को बनाये रखना चाहती है। 

उत्तर प्रदेश सरकार में बैठे मंत्री, विधायक जिनके ऊपर इस सरकार के तीन वर्ष के शासनकाल में गंभीर आरोप लगे लेकिन यह सरकार सत्ता के धमक में भ्रष्टाचारियों को बचाने में लगी हुई है। भ्रष्टाचार के खिलाफ जनता की आवाज को लोकायुक्त के माध्यम से लड़ी जाती रही है आज राज्यपाल और सरकार के बीच में फाइलों का बार-बार आना जाना स्पष्ट दर्शाता है कि यह सरकार भ्रष्टाचार को ही प्रश्रय देने में अपनी पीठ थपथपाना चाहती है। 

श्री श्रीवास्तव ने कहा कि लोकायुक्त की नियुक्ति के प्रकरण में विपक्ष की भूमिका में बैठे बसपा के नेता की भी भूमिका पूरी तरह से संदिग्ध है। क्योंकि इनके शासनकाल में लगे हुए भ्रष्टाचार के आरोप की निष्पक्ष जांच अभी तक जनता के सामने नहीं आ सकी। 

प्रवक्ता ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय और मा0 उच्च न्यायालय के दखल के बाद भी उत्तर प्रदेश में लोकायुक्त की नियुक्ति नहीं हो पा रही है, जो कि दुर्भाग्यपूर्ण है। कांग्रेस पार्टी मांग करती है अविलम्ब प्रदेश में लोकायुक्त की नियुक्ति हो, जिसके ऊपर किसी भी प्रकार के पक्षपात का आरोप न लग रहा हो।