लखनऊ:  कैबिनेट फैसले के अनुपालन में शुक्रवार को मुख्य सचिव आलोक रंजन ने प्रमोशन  में आरक्षण का लाभ पाए प्रदेश के सभी विभागों के हजारों एससी-एसटी अधिकारियों और कर्मचारियों को डिमोट करने के आदेश शुक्रवार को जारी कर दिए हैं।

आदेश में मुख्य सचिव ने सभी प्रमुख सचिवों और सचिवों को निर्देश दिए हैं कि आठ मई 2012 तथा 13 मई 2012 के शासनादेश के जरिए पदोन्नति में आरक्षण एवं परिणामी ज्येष्ठता की व्यवस्था समाप्त कर दी गई है। इस क्रम में अब यह फैसला लिया गया है कि पदोन्नति में आरक्षण का लाभ प्राप्त कर 28 अप्रैल 2012 से पूर्व और 15 नवंबर 1997 के बाद पदोन्नत कार्मिकों को पदावनत कर दिया जाए। ये कर्मचारी और अधिकारी इस समय चाहे जिस स्तर पर कार्यरत हों, उन्हें पदावनत कर दिया जाए। आदेश के अनुसार पदावनत किए जाने पर पदावनत पद का ही वेतनमान मिलेगा। 

वरिष्ठता सूची के अनुसार पदावनत किए गए कर्मचारी से वरिष्ठ कर्मचारी को स्वीकृत मूल वेतन के बराबर पदावनत कर्मचारी का मूल वेतन निर्धारित किया जाएगा। पदावनति के ठीक पूर्व माह में पदावनत कर्मी को प्राप्त हो रहीं परिलब्धियां (मूल वेतन, महंगाई भत्ता व अन्य भत्ते आदि) में पदावनति के बाद कोई वित्तीय हानि न हो, इसके लिए पदावनत किए गए कार्मिक की पदावनति के बाद निर्धारित मूल वेतन के आधार पर प्राप्त होने वाली कुल परिलब्धियां तथा पदावनति के ठीक पूर्व के माह में प्राप्त होने वाली कुल परिलब्धियों में जो अंतर होगा, वह वैयक्तिक वेतन के रूप में पदावनत अधिकारी व कर्मचारी को स्वीकृत होगा।

वैयक्तिक वेतन आगे के सालों में उस सीमा तक कम होता जाएगा जिस सीमा तक पदावनत कर्मचारी के मूल वेतन में वार्षिक वेतन वृद्धि के कारण मूल वेतन तथा वार्षिक वेतन वृद्धि तथा अन्य भत्तों सहित आधारित सकल वेतन में वृद्धि हो रही है। पदावनत कर्मी की पदावनति के ठीक पहले माह में प्राप्त कुल मासिक परिलब्धियां तक तक फ्रीज रहेंगी जब तक कि पदावनत कर्मी से वरिष्ठ कर्मी की परिलब्धियां इसके बराबर या इससे अधिक न हो जाएं। पदावनति किए जाने के बाद दो रिक्तियां होंगी, उन पर संशोधित वरिष्ठता सूची के अनुसार पदोन्नति की कार्रवाई की जाएगी।