नई दिल्ली: क्या प्रधानमंत्री मोदी इस साल लाल किले से बुलेटप्रूफ़ शीशे के घेरे में खड़े होकर भाषण देंगे? प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले साल लाल किले से बिना बुलेटप्रूफ़ घेरे के भाषण देकर सबको चौंका दिया था, लेकिन इस साल सुरक्षा एजेंसियों ने उनकी सुरक्षा को खतरा होने की आशंका जताई है और उनसे बुलेटप्रूफ़ घेरे में भाषण देने की सलाह दी है।

गृह मंत्रालय के एक सूत्र ने बताया कि आतंकवादियों की ओर से लगातार मिल रही धमकियों को देखते हुए ये जरूरी है। खासतौर से याकूब मेमन की फांसी और पंजाब के गुरदासपुर में हमले के बाद सुरक्षा एजेंसियां काफी सतर्क हैं।

पिछले साल प्रधानमंत्री मोदी के कहने पर बुलेटप्रूफ शीशे का घेरा उनके भाषण से कई घंटे पहले हटा दिया गया था। मोदी चाहते थे कि वो जनता से सीधे जुड़ें। उस समय सुरक्षा अधिकारियों के सलाह के बावजूद वो अपना इरादा बदलने को तैयार नहीं हुए। ऐसे में सुरक्षा एजेंसियों को अतिरिक्त सुरक्षा इंतज़ाम करने पड़े थे।

प्रधानमंत्री मोदी से पहले के कई प्रधानमंत्रियों ने बुलेटप्रूफ़ घेरे में रहकर ही लाल किले से भाषण दिया। आपको बता दें कि बुलेटप्रूफ़ कांच का घेरा 1985 में पहली बार गणतंत्र दिवस परेड के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के लिए लगाया गया था।