यातायात नियमों का पालन न करने वाले वाहन चालकों का निरस्त होगा ड्राइविंग लाइसेन्स

लखनऊ: प्रदेश सरकार सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाने के लिए प्रतिबद्ध है। देश में पहली बार सड़क दुर्घटनाओं से आम नागरिकों के जीवन की सुरक्षा के लिए ‘‘सड़क सुरक्षा नीति-2014’’ बनायी गयी है। अब संबंधित विभागों का उत्तरदायित्व है कि वे सड़क सुरक्षा नीति का प्रभावी संचालन करें और सरकार की मंशानुरूप कार्य करें।

यह बात सलाहकार, वाह्य सहायतित परियोजना मधुकर जेटली ने गत दिवस बापूभवन सचिवालय स्थित सभाकक्ष में ‘‘उ0प्र0 राज्य सड़क सुरक्षा नीति-2014’’ के प्रगति कार्यों की समीक्षा करते हुये कही। उन्होंने प्रदेश में सड़क सुरक्षा की स्थिति, सड़क दुर्घटनाओं से बचाव संबंधी उपायों एवं कार्यों, यातायात नियमों के प्रति जन-जागरूकता, सड़क सुरक्षा कोष, सूचना डेटा बेस, सड़क दुर्घटनाओं में घायलों की चिकित्सीय सुविधा, चालक प्रशिक्षण, ट्रैफिक सिग्नल के साथ यातायात संबंधी अन्य समस्याओं पर संबंधित विभागीय अधिकारियों से गहन विचार-विमर्श किया। सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाने के लिए परिवहन विभाग के अधिकारियों को सड़क सुरक्षा पर विशेष ध्यान देने के निर्देश दिये।

श्री जेटली ने अधिकारियों को सड़क सुरक्षा एक्शन प्लान पर प्रभावी कार्यवाही करने के निर्देश दिये। उन्होंने सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाने के लिए वाहन चालकों के समुचित प्रशिक्षण की व्यवस्था करने तथा चालकों को यातायात नियमों का कड़ाई से पालन कराने के भी निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि लोग यातायात नियमों का पालन करें, अतः जन-जागरूकता के लिए कार्यशाला, रैली, नौटंकी तथा नुक्कड़ नाटक का आयोजन किया जाय।

उन्होंने कहा कि यातायात नियमों के प्रति लोगों में जागरूकता आये, इसके लिए ‘‘नो एक्सीडेन्ट डे’’ को प्रदेश स्तर पर हर महीने आयोजित किया जाय। उन्होंने सड़क सुरक्षा के लिए मोटर वाहन अधिनियम के प्राविधानों का प्रभावी क्रियान्वयन किए जाने के निर्देश दिए। उन्होंने प्रदेश भर में चिन्हित कुल 1252 दुर्घटना बाहुल्य क्षेत्र (ब्लैक स्पाट) में सुधारात्मक कार्यवाही हेतु लोक निर्माण विभाग तथा राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के साथ समन्वय बनाकर कार्य करने की बात कही। उन्होंने कहा कि सड़क दुर्घटनाओं को कम करने के लिए सभी को मिलकर समान एजेण्डा पर कार्य करना होगा। बैठक के दौरान उन्होंने सड़क दुर्घटनाओं से मानव जीवन को बचाने के लिए प्राथमिक उपचार के साथ स्पेशियल्टी हास्पिटल तक गंभीर रूप से घायल व्यक्ति को पहुंचाने के लिए सुदूर क्षेत्रों से एयर एम्बुलेंस के प्रयोग की बात कही।

कमिश्नर, यातायात एवं सड़क सुरक्षा तथा प्रबन्ध निदेशक, परिवहन निगम श्री के0 रविन्द्र नायक ने सलाहकार, वाह्य सहायतित परियोजना को सड़क सुरक्षा नीति का प्रभावी क्रियान्वयन कराने तथा उनके निर्देशों का शीर्घ अनुपालन कराने  का आश्वासन दिया। बैठक में उन्होंने बताया कि सड़क सुरक्षा  नीति के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए सड़क सुरक्षा कोष का गठन किया गया है जिसके लिए वर्ष 2014-15 में 12 करोड़ तथा वर्ष 2015-16 में 25 करोड़ का बजट प्राविधान किया गया। उन्होंने बताया कि ‘सड़क सुरक्षा कोष’ के अन्तर्गत दुर्घटना बाहुल्य क्षेत्र (ब्लैक स्पाट) का सुधार, आटोमेटेड ड्राइविंग टेस्टिंग ट्रैक का निर्माण, फिटनेस पिट का निर्माण, पब्लिसिटी वैन का क्रय, यातायात नियमों का प्रचार-प्रसार, डाक्यूमेन्ट्री फिल्म बनाने, इंटरसेप्टर का क्रय, ओटोमेटेड इंस्पेक्शन एवं सर्टिफिकेशन सेन्टर की स्थापना तथा सड़क सुरक्षा से संबंधित अन्य कार्य कराये जाते हैं।

परिवहन आयुक्त ने बताया कि सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए कामर्शियल वाहनों को जांचने के लिए अब तक 36 जनपदों में फिटनेस पिट बनाये जा चुके हैं। लखनऊ में आटोमेटेड इंस्पेक्शन एवं सर्टिफिकेशन सेन्टर (मशीन से वाहन का निरीक्षण) बनाया जा रहा है। इसके साथ ही झाँसी में 16.37 एकड़ भूमि पर इंस्टीट्यूट आॅफ ड्राइविंग टेªनिंग एण्ड रिसर्च और आटोमेटेड इंस्पेक्शन एवं सर्टिफिकेशन सेन्टर की स्थापना किया जाना प्रस्तावित है। उन्होंने कहा कि सड़क दुर्घटनाओं को कम करने के लिए वाहन चालकों का नियमित प्रशिक्षण आवश्यक है। इसके साथ सरकारी वाहन चालकों को यातायात नियमों का पालन करना बाध्यकारी बनाया जायेगा। उन्होंने बताया कि यातायात नियमों का पालन न करने वाले वाहन चालकों का ड्राइविंग लाइसेन्स निरस्त किया जायेगा। उन्होंने बताया कि चालकों के प्रशिक्षण के लिए प्रदेश में निजी क्षेत्र द्वारा 300 ड्राइविंग ट्रेनिंग स्कूल संचालित है। वर्तमान में रायबरेली में इंस्टीट्यूट आॅफ ड्राइविंग टेªनिंग एण्ड रिसर्च सेन्टर की स्थापना की जा रही है तथा इसी प्रकार का दूसरा केन्द्र झाँसी में खोला जाना प्रस्तावित है। उन्होंने बताया कि ड्राइविंग टेªनिंग के लिए वर्तमान में 28 जनपदों में मैनुअल ड्राविंग टेस्टिंग ट्रैक बनाये जा रहे हैं। इसके साथ प्रदेश के सभी मण्डल मुख्यालयों पर इंस्पेक्शन एवं सर्टिफिकेशन सेन्टर तथा आटोमेटिक ड्राइविंग टेस्टिंग प्रणाली की स्थापना पीपीपी माॅडल पर किया जाना प्रस्तावित है।

अपर पुलिस महानिदेशक (यातायात) श्री अनिल अग्रवाल ने प्रदेश की ट्रैफिक सिग्नल प्रणाली, सीसीटीवी कैमरे, ई-चालान सिस्टम तथा सोशल मिडिया के प्रगति की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि प्रदेश में 13 स्माॅर्ट सिटी में अत्याधुनिक यातायात व्यवस्था को लागू किया जायेगा। लोगों की समस्याओं को तत्काल दूर करने के लिए यातायात निदेशालय द्वारा फेसबुक, वाट्सऐप तथा ट्विटर का प्रयोग किया जा रहा है। इसके साथ यातायात पुलिस को सोशल मीडिया का अधिक से अधिक प्रयोग करने के लिए प्रशिक्षित किया गया है।

विश्व बैंक की प्रतिनिधि सुश्री एॅलेना ने सड़कों पर सुरक्षित एवं सुगम यातायात तथा दुर्घटनाओं को रोकने के लिए मोटराइज्ड एवं नाॅन मोटराइज्ड वाहनों (साइकिल, तांगा, रिक्शा) का संचालन अलग-अलग हो या फिर इनके लिए सड़क के बिल्कुल किनारे लेन बनी हो का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि सड़क संकेतों एवं सिग्नलों का अधिक से अधिक प्रयोग हो। दुर्घटना बाहुल्य क्षेत्रों (ब्लैक स्पाट) का चयन करने के लिए स्थानीय निकायों तथा जनता का सहयोग लेना आवश्यक है। इसके साथ उन्होंने सड़क सुरक्षा के अनुरूप साफ्टवेयर को डिजाइन करना तथा संबंधित डेटा को लगातार अपडेट करते रहने पर बल दिया। बैठक में विशेष सचिव परिवहन श्री श्रीकृष्ण सिंह सहित गृह, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, शिक्षा, लोकनिर्माण, न्याय एवं नगर विकास विभाग के उच्च अधिकारी उपस्थित थे।