लखनऊ: देश की लोकप्रिय एवं पुरातन चिकित्सा पद्धतियाँ आयुर्वेद एवं यूनानी विधा के प्रति लोगों का रूझान तेजी से बढ़ रहा है वहीं राजकीय आयुर्वेद एवं यूनानी चिकित्सकों के प्रति आम जनता को सम्यक जानकारी न होने के कारण लोग भ्रामक प्रचार कर रहे क्षद्मचर वैद्य (अयोग्य चिकित्सक) एवं हकीमों के जाल में फंसकर अपमिश्रित एवं अनुपयुक्त औषधियों का सेवन कर जहां हजारों रूपया गवाँ बैठते है वही उनके दुष्प्रभाव से रोग की दशा सुधरने की बजाय और भी जटिल एवं गम्भीर हो जाती है जिससे समाज में आयुर्वेद एवं यूनानी विधा की प्रतिष्ठा पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।

उल्लेखनीय है जनपद लखनऊ में प्रदेश सरकार के 39 आयुर्वेदिक एवं 7 यूनानी चिकित्सालय संचालित हंै जो क्षेत्रीय आयुर्वैदिक एवं यूनानी अधिकारी लखनऊ कार्यक्षेत्र के अन्तर्गत हंै। आयुर्वेद एवं यूनानी विधा में प्रति जागरूक करने एवं आम जनता को उसका लाभ पहँुचाने के उद्देश्य को लेकर वन महोत्सव के उपलक्ष्य में चिकित्सालयों में खाली पड़ी जमीन में औषधीय पौधे यथा- कचनार, अर्जुन हरसिंगार, बेल, आंवला, सीता अशोक, अमलतास, गिलोय निर्गुण्डी, शतावरी आदि का रोपण तथा चिकित्सालयों में तुलसी, एलोवेरा, भ्रंगराज, कालमेघ, ज्वराकुंश, मीठी नीम, अश्वगंधा औषधीय पौधों को गमलों में लगाकर प्रदर्शित किया जा रहा है। इसी दिशा में अब आयुर्वेदिक एवं यूनानी चिकित्सालयों में विभिन्न रोगों यथा – हेपेटाइटिस (यकृत रोग), माइग्रेन, जटिल चर्मरोग (सोरियासिस) बवासीर, भगन्दर, आमवात, गठिया, स्पाॅन्डलाइटिस आदि अनेक जीर्ण रोगों की चिकित्सा के लिए आयुर्वेदीय निदान एवं विशिष्ट चिकित्सा शिविरों का आयोजन भी प्रारम्भ किया गया है। प्रथम शिविर तेलीबाग स्थित राजकीय आयुर्वैदिक चिकित्सालय में 12.अगस्त  को आयोजित किया गया। इस शिविर में वात एवं संधि रोग (आमवात, गठिया, स्पान्डलाइटिस) त्वचा रोग एवं मूत्र रोगों से सम्बन्धित 154 रोगियों को प्रभारी चिकित्साधिकारी डा0 सीमा कुन्द्रा एवं आयुर्वेद विशेषज्ञ डा0 कमल सचदेवा द्वारा उपचारित किया गया और उन्हें निःशुल्क औषधियाँ भी प्रदान की गई। क्षेत्रीय आयुर्वैदिक एवं यूनानी अधिकारी लखनऊ डा0 शिव शंकर त्रिपाठी ने बताया कि इस तरह के विशिष्ट चिकित्सा शिविरों का आयोजन लखनऊ क्षेत्र में राजकीय आयुर्वैदिक एवं यूनानी चिकित्सालयों में जारी रहेंगे और उन्होंने अपेक्षा की है कि जन सामान्य को प्रदेश सरकार द्वारा संचालित आयुर्वेद एवं यूनानी अस्पतालों  में उपलब्ध विशेषज्ञ सुविधाओं का लाभ अधिक से अधिक उठाना चाहिए। उन्होंने यह भी बताया कि जो चिकित्सक एवं औषधि निर्माता रोग एवं औषधियों के गुणों व प्रभावों को बढ़ा-चढ़ाकर भ्रामक एवं अतिश्योक्तिपूर्ण विज्ञापन पटोें तथा समाचार पत्रों के माध्यम से चिकित्सा का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं उनके विरूद्ध Drug & Magic remedies (Objectionable advt.) 1954  में विहित प्राविधानों के आलोक में कार्यवाही भी की जाएगी।