संयुक्त राष्ट्र। संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद की सदस्यता पाने की भारत की कोशिशों को तगड़ा झटका लगा है। अमरीका,रूस और चीन ने सुरक्षा परिषद में बदलाव की कोशिशों का विरोध किया है। गौरतलब है कि ये तीनों देश सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य हैं। पांच देश सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य हैं। इनमें अमरीका,चीन,रूस,फ्रांस और ब्रिटेन शामिल है।
पांच सदस्यों वाली सुरक्षा परिषद के दो सदस्य देशों फ्रांस और ब्रिटेन ने सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनने के लिए भारत की उम्मीदवारी का समर्थन किया है। कजाकिस्तान और रोमानिया ने ब्राजील,जर्मनी, भारत,जापान और अफ्रीका से एक देश को सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनाए जाने की मांग की है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष सैम कुटेसा ने संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्यों को सुरक्षा परिषद में बदलाव के लिए कहा था।
इस पर अमरीकी राजदूत सामंथा पावर ने कुटेसा को लिखा कि सैद्धांतिक तौर पर उनका देश सुरक्षा परिषद के स्थायी और गैर अस्थायी सदस्यों की संख्या बढ़ाने के हक में है लेकिन संख्या बढ़ाने से पहले यह देखा जाना चाहिए कि दुनिया में शांति और सुरक्षा कायम रखने के लिए संबंधित देश(जो सदस्य बनना चाहता है) क्या मदद करना चाहता है और उसकी मदद करने की काबिलियत कितनी है।
चीन ने कहा कि सुरक्षा परिषद का सुधार सदस्यों की एकता की कीमत पर नहीं होना चाहिए। ऎसे किसी मसले पर जिसे लेकर सदस्य बंटे हों,चीन उसका समर्थन नहीं कर सकता। सुरक्षा परिषद में भारत की उम्मीदवारी का समर्थन कर चुके रूस ने संयुक्त राष्ट्र के अध्यक्ष को लिखे पत्र में कहा कि सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्यों के सभी विशेषाधिकार कायम रहने चाहिए। इसमें वीटो का अधिकार भी शामिल है।
भारत का कहना है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का विस्तार होना चाहिए। इस पर वार्ता अनिश्चिकाल के लिए नहीं चल सकती। इसके लिए समय सीमा तय करनी चाहिए ताकि कोई नतीजा निकल सके।
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