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कुरान के बाद बुख़ारी शरीफ सबसे मुकद्दस किताब है: मौलाना तक़ी उद्दीन

मदरसा निजामिया लिलबनात फरंगी महल में बुख़ारी शरीफ की इफ्तिताही तकरीब

लखनऊ: कायनात में आसमानी किताब कुरान शरीफ के बाद बुख़ारी शरीफ सबसे अफज़ल और मुकद्दस किताब है। बुख़ारी शरीफ कुरान करीम की तफसीर है। इमाम बुखारी ने हर हदीस लिखने से पहले वुजू फरमाया फिर दो रकआत नमाज़ पढ़ी फिर एक हदीस लिखी। उन्होंने जिस लगन के साथ तमाम सही हदीसों को इकठ्ठा किया वह मुसलमानों पर एक बहुत बड़ा एहसान व करम है।

इन ख्यालात का इज्हार मौलाना तक़ी उद्दीन नदवी पूर्व प्रोफीसर हदीस शरीफ जामिअतुल एैन अबु धाबी ने किया। वह आज मदरसा निजामिया लिल बनात फरंगी महल में बुखारी शरीफ की इफ्तिताही तक़रीब को खिताब कर रहे थे। उन्होंने बुखारी शरीफ की पहली हदीस का दर्स देते हुए इमाम बुख़ारी की जिन्दगी पर तफसील से रौशनी डालते हुए कहा कि इमाम बुखारी ने तस्मिया के बाद जो पहली हदीस पेश की, उससे इस बात का इल्म होता है कि पढ़ने और पढ़ाने वाले दोनों के लिए यह बहुत जरूरी है कि पहले अपने दिलों को खूब साफ कर लें जब तक उनके दिलों में अदावत व बुग्ज़ जैसी चीज़ें होंगी उस वक्त तक इस किताब का समझना बहुत ही कठिन होगा।

मौलाना तकी उद्दीन ने वालिदैन की अजमत को बयान करते हुए कहा कि इमाम बुखारी के पैदा होने के दो माह बाद नाबीना हो गए तो उनकी वालिदा ने खुदा पाक से दुआ की कि इमाम बुखारी को बीना कर दे। खुदा पाक ने इनकी दुआ को कुबूल फरमाया।

इससे पहले मौलाना डा0 वली उद्दीन नदवी ने अल्लामा अब्ुदल हई फरंगी महली की इल्मी खिदमात का जिक्र करते हुए कहा कि आलमे इस्लाम में जब भी फतवे का जिक्र आयेगा तो अल्लामा मौसूफ का नाम जहन में आयेगा। उन्होंने अपनी कम उमरी में मिल्लते इस्लामिया के जो खिदमात अंजाम दी हैं वह नाकाबिले फरामोश है और कोई भी समझदार आदमी इस सच्चाई का इंकार नही कर सकता। ज्ञात हो कि मौलाना वली उद्दीन ने असकन्द्रिया विश्वविद्यालय मिस्र से अल्लामा अब्दुल हई फरंगी महली पर पी0एच0डी की है। मौलाना का यह मकाला पहले अरबी में फिर उर्दू में प्रकाशित होकर बहुत मशहूर हुआ है।

इस रूहानी महफिल में मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली चाँसलर दारूल उलूम निजामिया फरंगी महल ने मौलाना तकी उद्दीन नदवी का तआरुफ पेश किया। उन्होंने कहा कि मौलाना आलमे इस्लाम में बहुत ही इज्जत व इकराम की नजर से देखी जाने वाली एक मारूफ व मशहूर शखसियत है जो तआरुफ की मुहताज नही। महफिल का आरम्भ मुहम्म्द शहिद विद्यार्थी दारूल उलूम निजामिया फरगी महल की तिलावत कलाम पाक से हुआ। मौलाना नईमुर्रहमान सिद्दीक़ी ने मेहमानो का इस्तिकबाल और मौलाना मुहम्मद मुश्ताक ने मेहमानो का शुक्रिया अदा किया।

इस मुबारक तकरीब में मौलाना सै0 महमूदुल हसन हसनी नदवी उप सम्पादक तामीरे हयात, मुफ्ती अतीकुर्रहमान, मौलाना अब्दुल लतीफ, मौलाना मुहम्मद शमीम, कारी मुहम्मद हारून, कारी तनवीर अहमद, शेख राशिद अली मीनाई, सै0 अयाज़ अहमद, अदनान और नदीम अहमद खास तौर से शरीक थे।

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