लखनऊ: भारतीय जनता पार्टी ने कहा कि करोड़ों के अनूपुरक बजट प्रस्तावों को मंजूरी देती अखिलेश की मंत्रीपरिषद में बजट खर्च न हो पाने पर भी चर्चा होती तो बेहतर था। प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने कहा कि स्वीकृत बजट को न खर्च कर पाने की आरोपी अखिलेश सरकार में एक बार फिर दर्जनों विभागों में एक पाई भी खर्च नहीं हो पायी है। दो दर्जन से ज्यादा विभागो में महज 10 प्रतिशत की ही राशि खर्च हो पायी है।

मंगलवार को पार्टी मुख्यालय पर राज्यमंत्री परिषद द्वारा अब तक के सबसे बड़े अनूपुरक बजट प्रस्ताओं के स्वीकृत पर प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने कहा कि आम बजट के समय स्वीकृत मदो की धनराशि समय से खर्च क्यों नहीं की जा रही है ? पिछली बार भी स्वीकृत मदो में धनराशि के खर्च किए बगैर अनूपुरक बजट प्रस्ताओं पर और धनराशि ली गयी किन्तु प्रशासनिक अराजकता के कारण वे पैसे खर्च ही नहीं किये जा सके। उन्होंने सवाल करते हुए कहा कि जब बजट प्रस्ताओं में विकास योजनाओं के लिए धन के प्रस्ताव होते तो वे तय समय में खर्च हो इसकी व्यवस्था क्यों नहीं की जाती है। सत्ता गठन के बाद पहले वित्तीय वर्ष से ही बजट न खर्च करने के आरोपो में आयी अखिलेश सरकार ने न तो इस पर ध्यान दिया न ही इसे ठीक किये जाने का प्रयास किया नतीजा हर बार इस प्रकार की परिस्थितियों का निर्माण होता गया की स्वीकृत बजट की अधिकांश राशि खर्च ही नहीं हो रही है।

उन्होंने कहा कि खादी तथा ग्रामोद्योग, खाद्य तथा रसद, गन्ना विकास, चिकित्सा, प्रशासनिक सुधार, श्रम कल्याण, सैनिक कल्याण जैसे विभागों में कोई पैसा इस वित्तीय वर्ष के प्रथम तिमाही में खर्च नहीं हो सका। जबकि प्राविधिक शिक्षा में 2.08 प्रतिशत, उच्च शिक्षा में 3.88 प्रतिशत, माध्यमिक शिक्षा में 2.12 प्रतिशत यानी की चार प्रतिशत से कम की भी धनराशि खर्च नहीं हो पायी। उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यक कल्याण के दांवे करती नहीं थकती अखिलेश सरकार में मुस्लिम वफ्क में मात्र 2.76 प्रतिशत धन खर्च हो पाया।

श्री पाठक ने कहा कि जब पैसा ही नहीं खर्च हो रहा है तो विकास कैसे हो रहा है। अपनी नाकामियों से साल दर साल सबक लेने के बजाय अखिलेश सरकार आत्ममुग्ध रवैया अख्तीयार किये हुए है। विकास के दावे विज्ञापन पटो, मीडिया और नेताओं के बयानों में ही हो रहे है। राज्य में एक स्वस्थ्य कार्य संस्कृति विकसित हो इस ओर प्रयास नहीं हो रहे है यही कारण है कि सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव तक को सार्वजनिक रूप से अखिलेश के काम-काज पर सवाल खड़े करने पड़ रहे है।