पटना: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बिहार रैली से कुछ घंटे पहले राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया है कि उनकी प्रतिक्रिया और सक्रियता सिर्फ ट्विटर तक ही सीमित रहती है। आज सुबह नीतीश ने ट्वीट किया कि आखिरकार हमें ऐसी सरकार मिली है जो सही मायने में ‘केंद्रीय ट्विटर सरकार’ है जिसकी सुनवाई से कार्यवाही तक का काम सिर्फ ट्विटर पर ही होता है।

साथ ही नीतीश ने अपने कुछ पुराने ट्वीट्स भी पोस्ट किए हैं जो  25 जुलाई को हुई पीएम मोदी की मुज़्जफरपुर रैली से पहले के हैं। इन ट्वीट्स में मुख्यमंत्री ने पीएम मोदी के सामने लोकसभा चुनाव के दौरान किए ‘वादों’ से जुड़े सवाल रखे थे।

बता दें कि रविवार को पीएम मोदी की बिहार के गया शहर में रैली है। बिहार विधानसभा चुनाव से पहले ये प्रधानमंत्री की राज्य में दूसरी चुनावी रैली है और इस बार उनके साथ भाजपा अध्यक्ष अमित शाह भी दिखाई देंगे। पिछले महीने मुज़्जफरपुर में हुई एनडीए की परिवर्तन रैली में पीएम मोदी ने कुमार पर ‘राजनैतिक छुआछूत’ करने का आरोप लगाया था। प्रधानमंत्री का कहना था कि दो साल पहले उनसे पुरानी प्रतिद्वंद्विता की वजह से भाजपा से गठबंधन तोड़ देने वाले नीतीश ने एक बार उनके साथ ‘डिनर’ करने से मना कर दिया था।

नरेंद्र मोदी ने नतीश के लिए कहा था ‘लगता है उनके डीएनए में कुछ समस्या है क्योंकि प्रजातंत्र का डीएनए तो ऐसा नहीं होता। प्रजातंत्र में आप अपने राजनीतिक दुश्मन को भी सम्मान देते हैं।’ पीएम के इस वक्तव्य को नीतीश ने सभी बिहारियों का अपमान बताते हुए ट्वीट किया था ‘प्रधानमंत्री ने कहा कि मेरे डीएनए में समस्या है। मैं बिहार का बेटा हूं इसलिए मेरा डीएनए बिहार के लोगों का ही है…तो अब मैं बिहार की जनता पर ही छोड़ता हूं कि उनके डीएनए को गलत बताने वाले को उन्हें क्या समझना चाहिए।’

पिछले लोकसभा मतदान के बाद सबसे अहम समझे जा रहे बिहार चुनाव के लिए नीतीश कुमार की जनता दल और लालू प्रसाद की आरजेडी ने हाथ मिला लिया है। कांग्रेस और उनके सहयोगी भी नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव का साथ देते हुए ही नज़र आ रहे हैं। इस भाजपा-विरोधी गठबंधन ने नीतीश को अपने मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बताया है, वहीं भाजपा के खेमे में फिलहाल इस मुद्दे को लेकर तस्वीर साफ नहीं है।