लखनऊ: उत्तर प्रदेश के राज्यपाल, राम नाईक ने आज मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा दोबारा लोक आयुक्त के चयन से संबंधित पत्रावली भेजे जाने पर परीक्षण के उपरान्त पाया कि लोक आयुक्त एवं उप-लोक आयुक्त अधिनियम, 1975 की धारा-3 के प्रावधानों के अनुसार मुख्यमंत्री, मुख्य न्यायाधीश, इलाहाबाद उच्च न्यायालय तथा राज्य विधानसभा के नेता विपक्ष के साथ नये लोक आयुक्त के चयन पर परामर्श प्रक्रिया विधि अनुसार पूर्ण नहीं हुई है। उल्लेखनीय है कि मुख्य न्यायाधीश ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर सुझाव दिया था कि नये लोक आयुक्त के चयन हेतु उपयुक्त नामों का एक पैनल तैयार करके भेजें और उक्त पैनल में से उपयुक्त नाम का चयन किए जाने हेतु तीनों सदस्यों की बैठक आहूत करें। परन्तु न तो ऐसा कोई पैनल तैयार किया गया और न ही तीनों सदस्यों की एक साथ कभी कोई बैठक ही विचार-विमर्श के लिए सम्पन्न हुई।

राज्यपाल ने मुख्यमंत्री को पत्रावली पुनः वापस करते हुए अपेक्षा की है कि लोक आयुक्त एवं उप-लोक आयुक्त अधिनियम, 1975 की धारा 3 के प्रावधानों के अनुसार मुख्य न्यायाधीश सहित नेता विपक्ष के साथ नये लोक आयुक्त के चयन हेतु परामर्श प्रक्रिया विधि अनुसार शीघ्रातिशीघ्र पूर्ण करके संस्तुति के साथ पत्रावली समस्त अभिलेखों सहित उन्हें शीघ्र प्रेषित की जाय।