काम न आई वकीलों की फ़ौज, सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की याचिका

नई दिल्ली: नोएडा के विवादित चीफ इंजीनियर यादव सिंह के मामले में सीबीआई जांच के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची यूपी सरकार को करारा झटका लगा है। सर्वोच्च अदालत ने याचिका खारिज करते हुए कहा, अच्छा हुआ हाईकोर्ट ने इस मामले में सीबीआई जांच का आदेश दे दिया वरना हम ही इसकी जांच केंद्रीय एजेंसी को देने वाले थे।

मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एचएल दत्तू, अरुण मिश्रा और अमिताव राय की पीठ ने कहा कि हमें समझ नहीं आता कि यूपी सरकार सीबीआई जांच से परेशान क्यों है उसे तो खुश होना चाहिए। वह इस जेंटलमैन के लिए इतना कष्ट क्यों उठा रही है। पीठ ने कहा कि हम शिद्दत से महूसस करते है कि यह मामला सीबीआइ से जांच कराने के लायक है। एक समय में तो हम स्वयं इस मामले को सीबीआई को सौंपने वाले थे।

खास बात यह है कि याचिका उल्लेख के स्तर पर ही खारिज कर दी गई जबकि समान्यतया सर्वोच्च अदालत मामलों को नियमित रूप से लिस्ट होने का मौका देती है। यूपी सरकार की ओर से वकीलों की फौज का नेतृत्व कर रहे पूर्व कानून मंत्री कपिल सिब्बल और आरपी महरोत्रा ने कहा कि सीबीआई जांच यूपी सरकार को अस्थिर करने के लिए की जा रही है। आप जानते ही हैं कि सीबीआई एक तोता है और वह ऐसे मामलों में राजनैतिक इस्तेमाल के लिए बेहद असुरक्षित है। पीठ ने कहा कि हम ऐसा नहीं मानते, सीबीआई पर लोगों का विश्वास है आप निश्चिंत रहिए, सरकार अस्थिर नहीं होगी।

सिब्बल ने कहा कि काले धन पर गठित एसआईटी का राज्य के मसलों से क्या लेना देना हो सकता है, लेकिन वह राज्य को पत्र लिख रही है। वहीं केंद्र सरकार के संयुक्त सचिव ने भी सरकार को पत्र लिखे हैं। इससे लगता है मामला राजनैतिक है। वहीं यह पत्र हाईकोर्ट में याचिकाकर्ता नूतन ठाकुर के पास आ जाते हैं लेकिन सरकार को इनकी भनक भी नहीं लगती। लेकिन कोर्ट ने कहा कि माफ कीजिए हम इसमें कुछ नहीं कर सकते।

सिब्बल ने कहा कि तो फिर हाईकोर्ट यह आदेश कर दे दें कि वह जांच की मानिटरिंग करे और मामले स्वतंत्र जांच एजेंसी को देकर एसआईटी बना दे। पीठ ने कहा कि यह आग्रह आप इलाहाबाद हाईकोर्ट के समक्ष जाकर करें। वही इस पर फैसला लेगा। कोर्ट ने आदेश दिया, यदि याचिकाकर्ता ऐसी मानिटरिंग के लिए याचिका पेश करते हैं तो हाईकोर्ट उस पर विचार कर सकता है। सिब्बल ने कहा कि एसआईटी की मांग भी आदेश में शामिल कर दें, लेकिन पीठ ने याचिका खारिज कर दी।

सुनवाई के दौरान राज्य के एडवोकेट जनरल विजय बहादुर सिंह के साथ उत्तर प्रदेश के लगभग तमाम वरिष्ठ और कनिष्ठ एडवोकेट कोर्ट में कोर्ट में मौजूद थे। लेकिन यह फौज कोर्ट को प्रभावित नहीं कर सकी।

गौरतलब है कि एसआइटी ढाई माह पूर्व सुप्रीम कोर्ट में शिकायत की थी कि यूपी सरकार यादव सिंह का मामला सीबीआई देने में हीला हवाली कर रही है। एसआईटी ने बाकायदा अर्जी देकर इस मामले में को सीबीआई को सौंपने का आग्रह किया था उसे लगता था कि यादव सिंह ने विभिन्न डीलों से कालाधन हासिल किया है। लेकिन कोर्ट ने तब उस पर कोई फैसला नहीं लिखा था।

सुनवाई के अंत में पीठ ने बेंच से उठते हुए यूपी सरकार की पैरवी कर रहे कपिल सिब्बल पर सवाल दागा, जिससे सिब्बल असहज हो गए। कोर्ट ने कहा कि मिस्टर सिब्बल, मप्र के भर्ती घोटाले व्यापमं में आपको एसआईटी पर विश्वास नहीं था और आपको सीबीआई जांच चाहिए थी। फिर इसमें आप सीबीआई पर सवाल कैसे उठा रहे हैं। यह कुछ अजीब सा नहीं है।