नई दिल्ली। केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने पिछले दिनों संसद में दिए अपने भाषण में “हिन्दू आतंकवाद” शब्द का इस्तेमाल करने पर पूर्ववर्ती यूपीए सरकार पर हमला बोला लेकिन इस शब्द का इस्तेमाल तो इससे भी पुराना है। बाबरी मस्जिद विध्वंस कांड की जांच करने वाले जस्टिस रिटायर्ड मनमोहन सिंह लिब्राहन ने अपनी रिपोर्ट में पहली बार “हिन्दू आतंककारी” शब्द का प्रयोग किया था और वह इस बात पर अभी भी दृढ़ हैं। गौरतलब है कि हाल ही में केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह के इस बयान को लेकर राजनीतिक बयानबाजी शुरू हो गई थी।

जस्टिस लिब्राहन कहते हैं कि मैंने अपनी रिपोर्ट में “हिन्दू आतंककारी” शब्द का इस्तेमाल किया है। यदि मैं अपने विचार बदल लूं, तब भी इस शब्द को मिटा नहीं सकता। मैं राजनीतिक व्यक्ति नहीं हूं। पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस लिब्राहन को 1992 के बाबरी मस्जिद विध्वंस कांड के लिए बने आयोग का मुखिया बनाया गया था। आयोग ने 17 साल के बाद अपनी एक हजार पेज से अधिक की रिपोर्ट केन्द्र सरकार को सौंपी है। जस्टिस लिब्राहन ने संकेत दिया कि उनकी रिपोर्ट में भाजपा और संघ के कई वरिष्ठ राजनीतिक नेताओं के नाम हैं, पर उन्हें इन पर कार्रवाई होने की कोई उम्मीद नहीं है।

जस्टिस लिब्राहन ने कहा कि उनकी रिपोर्ट में भाजपा नेताओं पर दोष लगाया गया है। आज वे संवैधानिक पदों पर हैं। कल्याण सिंह (राजस्थान के राज्यपाल) पूरे विध्वंस कांड के हीरो थे। राजनीतिक दल भी इसे जानते हैं। जांच के लिए आयोग का गठन करना बेमतलब है। सिख विरोधी दंगों और सुभाष चन्द्र बोस की मौत के मामले में कितने आयोग गठित हुए लेकिन नतीजा क्या निकला? यह केवल वोट और नारों की राजनीति है।