इलाहाबाद। निरंजनी अखाड़ा के नवनियुक्त महामंडलेश्वर सच्चिदानंद गिरि पर बवाल खड़ा हो गया है। संत समाज ने एक ऎसे व्यक्ति को को महामंडलेश्वर की पदवी पर बिठा दिया है जिसके बनाये रास्ते पर अगर लोग चलने लगें तो समाज की दिशा ही बदल जाएगी। उत्तर प्रदेश के नोएडा के शराब कारोबारी सचिन दत्ता उर्फ सच्चिदानंद को निरंजनी अखाड़े का महामंडलेश्वर बना दिया गया है। इस मामले पर विवाद खड़ा हो गया है।

सच्चिदानंद गिरी को प्रयाग में महामंडलेश्वर की उपाधि दी गई है सच्चिदानंद बीयर बार के साथ डिस्कोथेक और रियल एस्टेट का कारोबार भी चलाते हैं, मामले पर अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी ने सफाई दी है कि मामले की जांच कराई जाएगी और शराब कारोबार चलाने की बात सही पाए जाने पर पदवी रद्द कर दी जाएगी। अखाड़ा परिषद ज्ञानदास गुट ने इसे संन्यास परंपरा का मजाक बताते हुए सच्चिदानंद को महामंडलेश्वर बनाने की कड़ी आलोचना की है। निरंजनी अखाड़ा के नवनियुक्त महामंडलेश्वर सच्चिदानंद गिरि पर लगे आरोपों की जांच के लिए महंतों की चार सदस्यीय टीम गठित कर दी गई है। यह टीम उनके व्यावसायिक व परिवारिक रिश्तों की पड़ताल करेगी।

जांच निष्पक्ष एवं पूरी गहराई से हो, उसके लिए छह माह का समय तय किया गया है। जांच टीम अपनी रिपोर्ट निरंजनी अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर व अखाड़ा परिषद अध्यक्ष को सौंपेगी। दोष साबित होने पर उनके महामंडलेश्वर बने रहने या पदमुक्त करने का फैसला अखाड़ा परिषद व निरंजनी अखाड़ा के पदाधिकारी मिलकर करेंगे। गुरू पूर्णिमा पर प्रयाग स्थित मठ बाघंबरी गद्दी में भव्य समारोह के बीच सच्चिदानंद गिरि को निरंजनी अखाड़ा के महामंडलेश्वर की पदवी दी गई थी। कहा जा रहा है कि महामंडलेश्वर बनाए गए सचिन दत्ता उर्फ सच्चिदानंद गिरि बियर बार और डिस्को संचालन के साथ रियल स्टेट कारोबार से जुड़े हैं। यह तथ्य सामने आने के बाद निरंजनी अखाड़ा के सचिव एवं अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने उनसे जुड़े तथ्यों की पड़ताल का निर्णय लिया।