आईएसआईएस के चंगुल से छूटे दो भारतीयों ने सुनाई आपबीती

नई दिल्ली : दुनिया की सबसे खूंखार आतंकी संगठन आईएसआईएस के चंगुल से छूटे दो भारतीयों ने जो आपबीती बताईं वो वाकई दिलचस्प और आईएसआईएस आतंकियों की दरियादिली को साबित करती है। इनका कहना है कि जब आतंकियों को पता चला कि ये लोग पेशे से शिक्षक हैं तो उनका व्यवहार एकदम से बदल गया। आतंकियों ने कहा कि वे टीचर्स की बहुत इज्जत करते हैं और इसलिए उन्हें नहीं मारेंगे। 

गौरतलब है कि इस्लामिक स्टेट के आतंकियों ने लीबिया के शहर सिर्त से चार भारतीयों को अगवा कर लिया था। इनमें से दो को रिहा किया जा चुका है। ये चारों लीबिया के सिर्त यूनिवर्सिटी में फैकल्टी हैं। अपहरण के बाद छोड़े गए लक्ष्मीकांत रामकृष्ण ने बताया वे चारों लोग दो टैक्सियों में एयरपोर्ट जा रहे थे। तभी एक ड्राइवर का फोन आया कि उनकी गाड़ी रोक ली गई है। जब वे वहां पहुंचे तो कुछ बंदूकधारियों ने उन्हें भी घेर लिया। इसके बाद हमें एक सूनसान जगह पर ले जाया गया। हमारा सारा सामान चैक किया गया और उसकी लिस्ट बना ली गई। 

विजय कुमार ने बताया कि हम चारों को एक अंधेरे कमरे में बंद कर दिया गया। इसके बाद पूछताछ के लिए एक आतंकवादी आया जिसने अपना नाम शेख बताया। उसने हमसे धर्म और पेशे के बार में पूछा। इसके बाद उसने किसी को फोन किया और हमारे बारे में बताया। फोन करने के बाद आतंकी का व्यवहार ही बदल गया। उसने कहा कि हम टीचर्स की बहुत इज्जत करते हैं और हम आपको नहीं मारेंगे। आप लोगों ने बहुत सारे लीबियाई बच्चों को बहुत कुछ सिखाया है। हम आपको हथकड़ी नहीं पहनाएंगे और न ही आंखों पर पट्टी बांधेंगे।

मालूम हो कि हैदराबाद के टी. गोपीकृष्ण और बलराम किशन अब भी आईएसआईएस के कब्जे में ही हैं। इन्हें छुड़ाने के लिए भारत के विदेश मंत्रालय की ओर से प्रयास जारी हैं।