BBC ने अफगानिस्तान के सरकारी सूत्रों के हवाले से तालिबान का चीफ़ मुल्ला उमर के मारे जाने की खबर दी है। हालांकि मुल्ला उमर के संगठन तालिबान ने उसकी मौत की पुष्टि नहीं की है।

मुल्ला उमर ने रूस की फौजों के खिलाफ लंबी जंग लड़ी। मुल्ला उमर तालिबान के संस्थापकों में था, जिसने पाकिस्तान के कबायली इलाके में मदरसा छात्रों को संगठित करके तालिबान की नींव रखी और अफ़गानिस्तान में अपना प्रभाव बढ़ाता चला गया। इस दौरान पाकिस्तान की सेना और खुफिया एजेंसियों से उसे लगातार मदद मिलती रही। मुल्ला उमर के लड़ाकों ने अफ़गानिस्तान को रूसी फौज को खदेड़ने में अहम भूमिका निभाई।

इसी दौरान सऊदी अरब से पेशावर पहुंचे ओसामा बिन लादेन की मुलाकात मुल्ला उमर से हुई। दोनों का मकसद एक था, लिहाजा दोस्ती गहरी होती गई और यही वजह है कि 9/11 हमलों के बाद जब अमेरिका ओसामा के पीछे पीछे पड़ा था, तो मुल्ला उमर ने उसे कथित तौर पर पनाह दी।