श्रद्धांजलि देने वालों का ताँता लगा 

शिलांग: पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम का पार्थिव शरीर विशेष विमान से दिल्ली लाया गया है। एयरपोर्ट पर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, पीएम नरेंद्र मोदी और उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी ने डॉ कलाम को श्रद्धांजलि दी।

तीनों सेनाओं के प्रमुखों ने भी अपने पूर्व कमांडर-इन-चीफ को श्रद्धांजलि दी। इनके अतिरिक्त दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल तथा पुलिस आयुक्त बीएस बस्सी ने भी पूर्व राष्ट्रपति को पुष्पांजलि अर्पित की।

डॉ कलाम का पार्थिव शरीर वायुसेना के विशेष सुपर Hercules विमान C-130 J से दिल्ली लाया गया। इसके बाद इसे उनके सरकारी आवास 10 राजाजी मार्ग पर ले जाया गया है, जहां 4 बजे से आम लोग उनके अंतिम दर्शन कर सकेंगे।

डॉ कलाम की अंत्येष्टि तमिलनाडु के रामेश्वरम स्थित उनके पैतृक स्थान पर परसों होगी। रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता सितांशु कर ने मंगलवार को ट्विटर पर लिखा, दिवंगत राष्ट्रपति की अंत्येष्टि तमिलनाडु के रामेश्वरम शहर स्थित उनके पैतृक स्थान पर होगी। इससे पहले शिलांग और गुवाहाटी में भी लोगों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी।

‘मिसाइल मैन’ और ‘जनता के राष्ट्रपति’ के रूप में लोकप्रिय हुए पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का सोमवार शाम आईआईएम में एक व्याख्यान देने के दौरान गिरने के बाद निधन हो गया था।

डॉ. कलाम को शाम करीब साढ़े छह बजे व्याख्यान के दौरान गिरने के बाद नाजुक हालत में बेथनी अस्पताल के आईसीयू में भर्ती कराया गया और उसके दो घंटे से अधिक समय बाद उनके निधन की पुष्टि की गई। डॉ. कलाम अक्तूबर में 84 साल के होने वाले थे।

देश के सर्वाधिक लोकप्रिय राष्ट्रपति माने जाने वाले कलाम ने 18 जुलाई 2002 को देश के 11वें राष्ट्रपति के रूप में पदभार संभाला, लेकिन राष्ट्रपति पद पर दूसरे कार्यकाल के लिए उनके नाम पर सर्वसम्मति नहीं बन सकी। वह राजनीतिक गलियारों से बाहर के राष्ट्रपति थे।

कम को अस्पताल में भर्ती कराए जाने की खबर मिलने के तुरंत बाद अस्पताल पहुंचे मेघालय के राज्यपाल वी षणमुगम ने बताया कि कलाम ने शाम सात बजकर 45 मिनट पर अंतिम सांस ली। डॉक्टरों की अथाह कोशिशों के बावजूद उन्हें नहीं बचाया जा सका।

मुख्य सचिव पीबीओ वारजिरी ने अस्पताल के बाहर संवाददाताओं को बताया कि उन्होंने कलाम के पार्थिव शरीर को मंगलवार को गुवाहाटी से नई दिल्ली ले जाने का इंतजाम करने के लिए केंद्रीय गृह सचिव एलसी गोयल से जरूरी प्रबंधन करने के वास्ते बातचीत की है।

साल 1931 में रामेश्वरम के करीब पैदा हुए अब्दुल कलाम ने मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से एयरोनॉटिक्स की पढ़ाई की थी, उन्हें 1997 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।

मिसाइल मैन के नाम से मशहूर रहे कलाम लंबे समय तक डीआरडीओ और इसरो के साथ जुड़े रहे। देश की रॉकेट और मिसाइल टेक्नोलॉजी के वे महारथी माने जाते रहे और देश की मिसाइल प्रणाली के विकास में उनके योगदान को खास तौर से देखा जाता है।

एपीजे कलाम बच्चों में भी खासे लोकप्रिय थे और आखिरी समय तक पढ़ने पढ़ाने से लगाव रहा। इसे संयोग ही कहा जाएगा कि अपने आखिरी लम्हें भी उन्होंने छात्रों के बीच ही गुजारा।