सुप्रीम कोर्ट ने सशर्त दी माफी की इजाजत

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को राज्यों को कुछ शर्तों के साथ उम्र कैदियों की सजा माफ कर रिहा करने की छूट दे दी। कोर्ट ने शर्त रखी है कि जिन कैदियों के मामलों की जांच सीबीआइ ने या टाडा जैसे केन्द्रीय कानून के तहत नहीं हुई है, उन्हीं की सजा माफ कर रिहाई की जा सकेगी।

इस शर्त के अनुसार राजीव गांधी हत्याकांड के कैदियों की रिहाई नहीं हो सकेगी। सुप्रीम कोर्ट ने अपने ताजा आदेश के साथ ही 9 जुलाई 2014 को जारी अंतरिम आदेश हटा लिया। पिछले वर्ष कोर्ट ने उम्रकैद की सजा पाए कैदियों की सजा माफी पर रोक लगा दी थी।

प्रधान न्यायाधीश एचएल दत्तू की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने कुछ शर्तों के साथ राज्य सरकारों के लिए यह पाबंदी हटा दी। इन कैदियों को माफी नहीं-जिन कैदियों को दुष्कर्म और हत्या के मामले में 20 या 25 साल की सजा हुई है।

जिन मामलों में उम्रभर जेल में रहने की सजा का विशेष तौर पर उल्लेख किया गया है। -राजीव गांधी हत्याकांड के सात दोषियों के मामले में यह फैसला लागू नहीं होगा। इनकी रिहाई के तमिलनाडु सरकार के फैसले के खिलाफ केन्द्र की याचिका सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है।

उम्रकैद की सजा पाए कैदियों की सजा माफी के बावजूद रिहाई नहीं होने के मप्र के 700 कैदी व देश के करीब 10 हजार मामले लंबित हैं। सुप्रीम कोर्ट के ताजा फैसले से इनकी रिहाई हो सकेगी।

उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने 9 जुलाई 2014 को अंतरिम आदेश जारी कर सभी राज्यों को उम्रकैद की सजा पाए कैदियों की सजा माफ करने से रोक दिया था। यह आदेश तमिलनाडु सरकार द्वारा राजीव गांधी हत्याकांड के ऐसे तीन दोषियों- वी. श्रीहरन उर्फ मुरुगन, संथन व अरीवू की रिहाई के आदेश के बाद जारी किया था।

सुप्रीम कोर्ट ने इनकी फांसी की सजा को 18 फरवरी 2014 को उम्रकैद में बदल दिया था और सजा पूरी होने के बाद उनकी रिहाई का फैसला राज्य सरकार पर छोड़ा था। 19 फरवरी को ही तमिलनाडु सरकार ने इस हत्याकांड के चार अन्य दोषियों नलिनी, राबर्ट पायस, जयकुमार व रविचंद्रन की रिहाई का आदेश दे दिया था। 20 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में प्रक्रियागत त्रुटि के आधार पर रिहाई पर रोक लगा दी थी।

14 साल या ज्यादा की सजा काट चुके कैदियों को राहत मिलेगी। सुप्रीम कोर्ट ने दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 432 व 433 के तहत राज्यों के सजा माफी के अधिकार को बहाल कर दिया है। इससे 14 साल या इससे ज्यादा की सजा काट चुके कैदियों को राज्य सरकारें रिहा कर सकेंगी।