शंघाई। भारत समेत ब्रिक्स देशों के नव विकास बैंक (एनडीबी) ने उभरती अर्थव्यवस्थाओं में बुनियादी ढांचा वित्तपोषण बढ़ाने के लिए मंगलवार को यहां स्थित अपने मुख्यालय में अपना औपचारिक रूप से परिचालन शुरू किया। चीन के वित्त मंत्री लू जिवेई, शंघाई के मेयर यांग जियोंग और बैंक के अध्यक्ष केवी कामत, शंघाई के एक होटल में आयोजित उद्घाटन समारोह में शामिल हुए। इस नव विकास बैंक में 67 वर्षीय कामत, पहले पांच वर्ष के लिए अध्यक्ष होंगे। लू ने समारोह के बाद एक सेमिनार में कहा कि ब्रिक्स बैंक मौजूद अंतरराष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली का यथेष्ट पूरक होगा और संचालन माडल में नवोन्मेष की तलाश करेगा।

ब्रिक्स अर्थव्यवस्थाओं ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका ने खासकर सदस्य देशों को ढांचागत परियोजनाओं के लिए ऋण देने के प्रयासों के बीच आठ जुलाई को रूस के शहर उफा में सातवें ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान अरबों डालर के इस विकास बैंक को पेश किया था। नव विकास बैंक की शुरूआती पूंजी 50 अरब डालर होगी जिसे अगले कुछ साल में बढ़ाकर 100 अरब डालर किया जाएगा।

ब्रिक्स का प्रत्येक सदस्य देश शुरूआत पूंजी में समान योगदान करेगा। बैंक के अधिकारियों के अनुसार की परिकल्पना ब्रिक्स देशों में ढांचागत और विकास परियोजनाओं के लिए कोष उपलब्ध कराने के जरिए विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष जैसे पश्चिमी देशों के नेतृत्व वाले संस्थानों के मुकाबले संतुलन कायम करने वाले संस्थान के रूप में की गई है। बैंक के प्रबंधन में प्रत्येक देश की समान भागीदारी होगी चाहे उसके सकल घरेलू उत्पाद का आकार कितना भी हो।

नव विकास बैंक को चीन द्वारा पेश एशियाई बुनियादी ढांचा निवेश बैंक (एआईआईबी) का भी समर्थन प्राप्त है जिससे भारत और 56 अन्य देश जुड़े हैं। विश्व बैंक ने नव विकास बैंक का परिचालन शुरू होने का स्वागत किया। विश्व बैंक के अध्यक्ष जिम योंग किम ने एक बयान में कहा कि हम नव विकास बैंक के अध्यक्ष केवी कामत को और संस्थापक सदस्य- ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका को इस महत्वपूर्ण मौके पर बधाई देना चाहेंगे।

किम ने कहा कि हम नव विकास बैंक और अन्य बहुपक्षीय संस्थानों के साथ मिलकर काम करने, अपनी समझ साझा करने और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के सह-वित्तपोष्ज्ञण के लिए प्रतिबद्ध हैं। ऎसी भागीदारी हमारे साझा लक्ष्य के लिए आवश्यक होगी ताकि 2030 तक निपट गरीबी दूर की जा सके, साझा संपन्नता बढ़ाई जा सके और असमानताएं कम की जा सकें।