सत्य प्रकाश 

म०प्र० व्यापम यह शब्द पिछले कुछ सप्ताह से हर एक समाचार की ब्रेकिंग न्यूज़ एवं समाचार पत्रों के प्रथम पृष्ठ की बड़ी खबर बना हुआ है | फेसबुक , ट्विटर और व्हाट्सप्प पर भी चर्चा का बड़ा विषय बना हुआ हुआ है | अब तो व्यापम एक बड़ी बिमारी बनकर रह गया है जो एक स्थान पर घटित हुआ परन्तु इसका असर समूर्ण भारत एवं उनके राजनितिक दलों पर साफ़ दिखाई पड़ रहा है | म० प्र० व्यापक के विषय में राज्य सरकार ने भी चुप्पी साध रखी है | देश के अन्य राजनितिक दल एवं प्रधानमन्त्री भी मूक से दिखयी दिए | 

क्या है व्यापम ??? 

सम्पूर्ण भारत में अन्य राज्यों की तरह ही मध्य प्रदेश में विभिन्न नौकरियों के लिए परीक्षा करवाकर कर भर्ती करने वाला एक तंत्र है | मध्य प्रदेश में बड़े स्टार प्र परीक्षा करवाकर भर्ती करवाने वाले  व्यावसायिक परीक्षा मंडल को सूक्ष्म रूप में व्यापमं के नाम से जाना जाता है व्यावसायिक परीक्षा मंडल मध्य प्रदेश में प्री मेडिकल टेस्ट, प्री इंजीनियरिंग टेस्ट और कई सरकारी नौकरियों के लिए परीक्षाएं करवाता है इन परीक्षाओं में जमकर भ्रष्टाचार हुआ और हर साल मेडिकल की सरकारी सीटें और सरकारी नौकरियां बेची जाती रहीं.. इन परीक्षाओं में हुई कथित धांधलियों में राज्य के राज्यपाल से लेकर मुख्यमंत्री तक सभी आरोपों के घेरे में आते रहे हैं |

इन परीक्षाओं में हुई धांधली 

नापतौल भर्ती परीक्षा 

एसआई भर्ती परीक्षा 

आरक्षक भर्ती परीक्षा 

दुघ्ध संघ भर्ती परीक्षा 

संविदा शिक्षक वर्ग -२

संविदा शिक्षक वर्ग – ३ 

वन रक्षक भर्ती परीक्षा 

जिनके मेडिकल एंट्रेंस रद्द किये गए 

वर्ष 2008 –  42 

वर्ष 2009 –  85

वर्ष 2010 –  90

वर्ष 2011 –  98

वर्ष 2012 –  333 (प्री पी जी २०१२ में ८ छात्रों की परीक्षाएं रद्द की गयीं )

वर्ष  2013 –  439

कैसे होती थी धांधली?

1.  कांग्रेस के मुताबिक शुरू में धुंधला फोटोग्राफ लगाकर असली विद्यार्थी की जगह नकली विद्यार्थी को परीक्षा में बिठाया जाता था.

 2. इसके अलावा परीक्षा में पहले काफी अच्छे अंक प्राप्त कर चुके योग्य विद्यार्थी को दोबारा परीक्षा में बिठाया जाता था, जो दूसरे विद्यार्थी को नकल करवाता था. इसके लिए पैसा खिलाकर दोनों के रोल नंबर पास पास रखे जाते थे.

 3. पैसा खिलाने वाले विद्यार्थी से अपनी ‘ऑप्टिकल मार्क रिकग्निशन’ (ओएमआर) शीट को खाली छोड़ने को कहा जाता था, इन्हें बाद में भोपाल में व्यापम हेडक्वार्टर में सही उत्तरों से भर दिया जाता था, ताकि वह विद्यार्थी परीक्षा में पास हो जाए.

 इस जालसाजी के पैमाने का अनुमान इस बात से हो जाता है, कि 2008 से 2013 के बीच मध्यप्रदेश सरकार ने व्यापम के द्वारा 68 परीक्षाएं आयोजित कीं, जिनमें 49,44,104 विद्यार्थी बैठे और विभिन्न सरकारी विभागों जैसे पुलिस, वन, राजस्व, शिक्षा आदि में 1,40,000 लोगों की भर्ती की गई. इसी तरह 99 प्रवेश परीक्षाओं में 27,32,614 विद्यार्थी बैठे

किस-किस पर लगे आरोप?

सबसे बड़ा नाम तो मध्य प्रदेश के राज्यपाल राम नरेश यादव और उनके एक बेटे का था.

राज्यपाल के ख़िलाफ़ एफ़आईआर हाईकोर्ट ने मई 2015 में यह कहकर रद्द करवा दी कि राज्यपाल को पद के नाते संवैधानिक सुरक्षा मिली हुई है.

पुलिस चाहे तो उनके कार्यकाल की समाप्ति के बाद उन पर मुक़दमा दर्ज कर सकती है. यादव का कार्यकाल सितम्बर 2016 में समाप्त हो रहा है.

इस बीच राज्यपाल के बेटे, जो फ़रार थे, उनकी लखनऊ के घर में अचानक मौत हो गई.

एक पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा और उनके एक ओएसडी जेल में हैंइसके अलावा भारतीय जनता पार्टी के पदाधिकारी, कई सरकारी अफ़सर, कई नेताओं और कई अफ़सरों और नेताओं के रिश्तेदारों के नाम अभियुक्तों की सूची में हैं.

कुल मिला कर अब तक 2,000 लोग गिरफ़्तार किए जा चुके हैं और 600 और गिरफ़्तार किए जाने हैं.

मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह मुख्यमंत्री शिवराज सिंह और उनकी पत्नी साधना सिंह का नाम भी लेते हैं और दावा करते हैं कि उनके पास सबूत हैं.दिग्विजय सिंह इन सबूतों के साथ अदालत जा चुके हैं.

बात इतनी भर नहीं?

पिछले दिनों जांच कर रही एजेंसी ने एक रिपोर्ट में कहा कि अब तक 32 लोगों की मौत हो चुकी है. ये सभी मौतें ”संदिग्ध हालात” में हुईं.

मरने वालों में अधिकांश की आयु 30 वर्ष के आसपास थी. 32 मौतों में किस-किस के नाम एसटीएफ़ ने शामिल किए हैं, इसका खुलासा नहीं किया गया है.

मध्यप्रदेश के राज्यपाल के बेटे शैलेष यादव, जो फरार थे, वह अपने पिता के लखनऊ के सरकारी घर में मारे गए.

इसी तरह नम्रता डामोर जो इंदौर के सरकारी मेडिकल कॉलेज में पढ़ती थीं उनकी लाश रेलवे ट्रैक के नज़दीक मिली. नम्रता का नाम गलत ढंग से मेडिकल कॉलेज में दाखिला लेने वालों में था.

घोटाले की जांच की निगरानी कर रहे जस्टिस चंद्रेश भूषण ने भी मीडिया को सिर्फ इतना बताया कि 30 से अधिक मौतों की जानकारी एसटीएफ ने दी है.

अलबत्ता पुलिस सूत्रों का कहना है कि एसटीएफ ने अब तक जान गंवा चुके सभी 32 लोगों को आरोपी माना है और इन्हें ‘रैकेटियर्स’ कहा है.

हालांकि एसआईटी को भी यह जानकारी नहीं दी गई है कि इनमें से कितने अभियुक्त बनाए जाने से पहले मरे और कितने उसके बाद.

विधानसभा में विपक्ष के नेता सत्यदेव कटारे का कहना है कि व्यापमं घोटाले से जुड़े लोगों में से अब तक 156 की मौत हो चुकी है.कटारे अपने इस दावे के पक्ष में तर्क देते हैं, “मेरी जानकारी के मुताबिक इनमें अभियुक्त, संदेही, व्हिसल ब्लोअर्स, गवाह और घोटाले में शामिल लोगों के रिश्तेदार शामिल हैं.”

किस किस ने छोड़ दी  दुनिया ??

नम्रता डामोर मेडिकल कालेज इंदौर 

डॉ डी० के० साकले (दीं मेडिकल कालेज जबलपुर 

शैलेश यादव लखनऊ (म० प्र० के राज्यपाल रामनरेश यादव के पुत्र )

विजय पटेल रीवा 

रिंकू उर्फ़ प्रमोद शर्मा (मुरैना )

देवेन्द्र नागर (भिंड)

आशुतोष सिंह झांसी 

श्यामवीर सिंह यादव ग्वालियर 

आनंद सिंह यादव उत्तर प्रदेश 

ज्ञान सिंह जाटव 

अमित जाटव मुरैना 

अनुज उइके मंडला

पशुपतिनाथ जयसवाल  

राघवेन्द्र सिंह सिंगरौली 

आनंद सिंह इलाहाबाद 

विकास पाण्डेय इलाहाबाद 

दीपक जैन शिवपुरी 

अंशुल सचान होसंगाबाद 

विकास सिंह झाबुआ 

अनुज पाण्डेय ग्वालियर 

अरविन्द शाक्या ग्वालियर   

कुलदीप मरावी मुरैना 

बृजेश राजपूत मुरैना 

ललित कुमार मुरैना 

डॉ राजेंद्र आर्य ग्वालियर 

रामेन्द्र सिंह भदौरिया रतलाम 

तरुण मछार रतलाम 

आशुतोष तिवारी ग्वालियर 

अनंतराम टैगोर मुरैना 

मनीष समीधिया झांसी 

दिनेश जाटव मुरैना 

ज्ञान सिंह सागर 

आनंद कुमार सिंह मुरैना 

नरेंद्र तोमर मुरैना 

वीएक्स ठाकुर भड़वानी 

आदित्य चौधरी सागर 

रविन्द्र प्रताप सिंह सिंघरौली 

प्रेम लता पाण्डेय रीवा 

बंटी सिकरवार 

दीपक वर्मा सिंघरौली 

ललित कुमार गुलारिया 

नरेंद्र राजपूत महोबा 

नरेंद्र सिंह राजपूत झांसी 

अमित सागर (तालाब से शव बरामद )

पत्रकार अक्षय सिंह 

अनामिका कुशवाहा (ट्रेनी एस आई )  सागर पुलिस एकेडमी के तालाब में कूदकर जान

कांस्टेबल टीकमगढ़ 

2010 में हुई थी व्यापम के एक और आरोपी की मौत, परिवार ने की जांच की मांग!

2010 में सड़क हादसे में मारे गए व्यापम के आरोपी के परिवार ने मौत की जांच कराने की मांग की है। दरअसल एक के बाद एक व्यापम घोटाले से जुड़े लोगों की मौत के बाद अब परिवार को शक हो रहा है कि इस मौत के पीछे कोई साजिश रची गई थी, इसलिए इस सड़क हादसे की उच्च स्तरीय जांच की मांग परिवार कर रहा है। संज्ञान में ले तो हौशंगाबाद के रहने वाले सागर में मेडिकल कॉलेज के छात्र अंशुल सचान की 5 साल पहले सड़क हादसे में मौत हुई थी। इसी हादसे में अंशुल के साथ उसके दो दोस्तों की भी मौत हुई थी। तीनों मौत के बाद व्यापम में आरोपी बनकर सामने आए थे। व्यापम फर्जीवाड़े मामले से जुड़े अंशुल साचन की मौत भी 2010 में एक सड़क हादसे में हुई थी पर उस वक्त अंशुल के परिजनों ने इसे स्वभाविक मान ली थी, पर वर्तमान में व्यापम घोटाले से जुड़े लोगों की एक-एक कर मौत के बाद अब अंशुल के परिजन भी अंशुल की मौत पर आशंका जता रहे हैं।

दरअसल अंशुल की मौत 16 जून 2010 को रायसेन जिले के उमरावगंज थाना क्षेत्र में सड़क दुर्घटना में हो गई थी, अंशुल के साथ उस वक्त दो लड़के और थे जिनमें एक का नाम अनुज उईके और दूसरे का नाम श्यामवीर यादव था। तीनों बाद में व्यापम घोटाले के आरोपी बने। उस समय उमरावगंज थाने में मात्र सड़क दुर्घटना में मौत का केस ही बना था ओर अंशुल के परिजनों ने उस पर कोई ऐतराज भी नहीं जताया था।