इंस्टेंटखबर ब्यूरो 

लखनऊ: बाराबंकी में पुलिस की बर्बरता का शिकार हुई महिला नीतू द्विवेदी के मामले में बनी भाजपा सांसदों की जांच समिति के सदस्य सांसद अश्विनी चौबे, अर्जुन मेघवाल, मीनाक्षी लेखी एवं एम.जे. अकबर ने आज पार्टी मुख्यालय पर संवाददाता सम्मलेन में उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था सवाल उठाते हुए कहा कि आज प्रदेश में हालत यह है कि इलज़ाम किसी व्यक्ति पर होता है, सबूत किसी और के खिलाफ होते हैं और हिरासत में किसी और को लिया जाता है।  

सांसदों ने कहा कि पुलिस हर मामले में घूस खाती है और घूस का हिसाब सरकार को देती है।  पुलिस की बर्बरता की शिकार नीतू के मामले में सांसदों की जाँच समिति ने कहा कि मामला एक लाख रूपये का है. रुपया न मिलने की वजह से पुलिस ने बर्बर कार्रवाई की। 

समिति ने कहा कि उत्तर प्रदेश में पुलिस और भू माफियाओं के बीच सांठ-गांठ के सबूत हैं. बाराबंकी में महिला के बदन में आग लगी।  वह चीखती-चिल्लाती रही लेकिन उसकी मदद के लिए न कोई सिपाही आगे बढ़ा न किसी दरोगा ने ही अपने क़दम बढ़ाए. इसका जवाब तो पुलिस को देना ही पड़ेगा कि आखिर सामने हुई हत्या में पुलिस की आँखें बंद क्यों रहीं। 

संसदीय समिति ने कहा कि मृत्यु पूर्व बयान में महिला ने साफ़ कहा कि उसकी इज्ज़त के साथ छेड़छाड़ हुई।  यह कानून और इज्ज़त की कहानी है।  पुलिस अफसर अब्दुल हमीद ने महिला का बयान लिया है, मृत्यु पूर्व बयान को सुप्रीम कोर्ट भी मानता है।  

संसदीय समिति ने जानना चाहा कि अगर महिला ने आत्महत्या की थी तो फिर सरकार ने उसके परिवार को पांच लाख रुपये क्यों दिए।  क्या सरकार सभी आत्महत्याओं में मुआवजा देती है।  समिति ने कहा कि थाना अध्यक्ष और दरोगा मौके से सबूत मिटाने में लगे हैं। संसदीय समिति ने सरकार से मांग की कि थाना अध्यक्ष और दरोगा को फौरन गिरफ्तार किया जाये और हाई कोर्ट की निगरानी में निष्पक्ष जांच हो।