नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने केरोसिन पर दी जाने वाली सब्सिडी की सीमा 12 रूपए प्रतिलीटर तय की है, लेकिन इसके दाम में बढ़ोतरी नहीं की जाएगी। खुदरा दामों को स्थिर रखने के लिए सरकार ने ओएनजीसी जैसी प्रमुख तेल कंपनियों से 5000-6000 करोड़ रूपए के बीच भुगतान करने को कहा है।

सार्वजनिक वितरण प्रणाली के जरिए (पीडीएस) केरोसिन 14.96 रूपए प्रतिलीटर के दाम पर बेची जा रही है जबकि उसकी असल कीमत 33.47 रूपए है। इस तरह से तेल कंपनियों को 18.51 रूपए का घाटा हो रहा है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है कि इस नुकसान से बाहर निकलने का फॉर्मूला खोज लिया गया है। “वित्त मंत्रालय बजट से राज्य के तेल विक्रताओं को 12 रूपए प्रति लीटर नगद देगा जबकि खुदरा बिक्री मूल्य व उत्पादन की लागत के बीच का अंतर ओएनजीसी वहन करेगी।

मौजूदा कीमतों के हिसाब से प्रति वर्ष प्रमुख तेल कंपनियों को 5000-6000 करोड़ रूपए वहन करने होंगे। अधिकारी का कहना है कि सरकार ने एलपीजी के लिए खुदरा बिक्री मूल्य और उत्पादन लागत के बीच के अंतर का वहन करने का फैसला किया है। इसका बोझ कंपनियों पर नहीं डाला जाएगा। वित्‍त वर्ष 2015-16 के लिए एलपीजी सब्सिडी के लिए 22,000 करोड़ और केरोसिन सब्सिडी के लिए 8,000 करोड़ रूपए का बजट आवंटित किया गया है। हर एक घर को 14.2 किलोग्राम के 12 एलपीजी सिलेंडर्स 417.82 रूपए के सब्सिडी दाम पर दिए जाते हैं। इससे हर एक सिलेंडर पर 198.68 रूपए का नुकसान का होता है, जो कि सरकार उठा रही है।