मुंबई : इस साल इंद्रदेव के मेहरबान रहने की उम्मीद जताते हुए वित्त मंत्री अरूण जेटली ने आज कहा कि बेहतर मानसून से दालों सहित खाद्य मुद्रास्फीति पर अंकुश लगाने में मदद मिलेगी।
जेटली ने यह भी कहा कि कर राजस्व बढ़ने एवं वृहद आर्थिक बुनियादी स्थिति सुधरने से अर्थव्यवस्था में तेजी आएगी और 8-10 प्रतिशत की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर पहुंच के दायरे से बाहर नहीं है।
उन्होंने कहा, ‘ऐसा लगता है कि इस साल इंद्रदेव हमारे उपर मेहरबान रह सकते हैं।’ उन्होंने कहा कि कृषि विभाग को देश के ज्यादातर हिस्सों में अच्छी बारिश होने की उम्मीद है जिससे तिलहन और दलहनों की पैदावार बढ़ेगी जो फिलहाल मुद्रास्फीति के लिहाज से चिंता का कारण है।
जेटली ने कहा, ‘मुझे उम्मीद है कि उनका अनुमान सच साबित होता दिख रहा है। मानसून आगे चलकर भी अच्छा रहना चाहिए।’ कर राजस्व के संबंध में वित्त मंत्री ने कहा, ‘कुछ छिटपुट आंकड़े हैं जिससे उल्लेखनीय सुधार का संकेत मिलता है। कल जारी पहली तिमाही के लिए अप्रत्यक्ष राजस्व आंकड़ों से संकेत मिला कि बिना अतिरिक्त राजस्व उपायों के भी सीमा शुल्क, उत्पाद शुल्क व सेवाकर संग्रह 14.5 प्रतिशत अधिक रहा।’
आज यहां नाबार्ड के स्थापना दिवस समारोह में जेटली ने कहा कि यदि अतिरिक्त राजस्व उपायों को ध्यान में रखें तो अप्रत्यक्ष कर संग्रह में कुल मिलाकर 37 प्रतिशत की वृद्धि होगी। उन्होंने कहा, ‘चल रही सुधार प्रक्रियाओं के साथ मसलन जीएसटी, इस साल ढांचागत क्षेत्र पर अधिक खर्च, स्मार्ट शहरों पर जोर आदि सभी कदमों को एक साथ लें तो आठ प्रतिशत की वृद्धि दर का आंकड़ा पार करना और 8-10 प्रतिशत के स्तर पर पहुंचने हमारे वश से बाहर की बात नहीं है।’
यूनान के संकट पर जेटली ने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था संकटपूर्ण दौर से गुजर रही है। उन्होंने कहा, ‘हम यूनान संकट से सबक लेना होगा। सबसे बड़ा सबक यह है कि सरकारों को अपने सीमित संसाधनों के भीतर खर्च करना होगा। यदि वे ऐसा नहीं करती हैं तो उन्हें असामान्य संकट का सामना करना पड़ेगा।’
‘हम अपने राजकोषीय घाटे के लिए रूपरेखा के मुताबिक चल रहे हैं और हमारा चालू खाते का घाटा नियंत्रण में आ रहा है व मुद्रास्फीति भी नियंत्रण में है।’ पिछले सप्ताह, अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) ने वैश्विक अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 3.2 से 3.3 प्रतिशत रहने और चालू वित्त वर्ष में भारत की वृद्धि दर 7.5 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया था।
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