औरंगाबाद: ग्रामीण क्रिकेट एसोसिएशन द्वारा बीसीसीआई के खिलाफ उच्च न्यायालय की औरंगाबाद खंडपीठ में ग्रामीण क्षेत्रों के खिलाड़ियों को स्वतंत्र रणजी क्रिकेट ट्राफी में टीम बनाने की मांग को लेकर एकबार फिर याचिका दाखिल की गयी जिसपर जल्द सुनवाई होने वाली हे.
उक्त जानकारी देते हुये याचिकाकर्ता ग्रामीण संगठन के सचिव लवकुमार जाधव व उनके वकील एड. प्रशांत सूर्यवंशी ने बताया कि खंडपीठ ने बीसीसीआई को ऑर्डर जारी कर दिया था लेकिन BCCI ने उचित निर्णय नही लिया इस लिये ग्रामीण क्रिकेट असोसिएशन फिर से उच्च न्यायालय में 07 जुलाई को गुहार लगाई ।
लवकुमार ने बताया कि एसोसिएशन की स्थापना 13 अप्रैल 2004 को हुई थी जिसके तहत ग्रामीण क्षेत्रों की प्रतिभाओं को उजागर करने के लिए विगत 10 वर्षों से लगातार तहसील जिला राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर स्पर्धायें आयोजित की जा रही हैं। संस्था ने अवतक 12 प्रदेशों में 27 हजार से ज्यादा खिलाड़ी तैयार किये हैं।
उन्होंने जानकारी देते हुये कहा कि जिस तरह बीसीसीआई रणजी की शहरी टीमों के खिलाड़ियों को राष्ट्रीय टीम में लेती रही है उसी तरह से ग्रामीण टीमों के खिलाड़ियों को भी राष्ट्रीय टीम में लेना चाहिये। इस संबंध में पहले संस्था द्वारा बीसीसीआई से कई बार पत्र व्यवहार किया गया मगर अभी तक बीसीसीआई की ओर से कोई ध्यान नहीं दिया गया।
बीसीसीआई के इस व्यवहार से क्षुब्ध होकर ही संस्था ने विवश होकर अब न्यायालय की शरण ली है। नये उदीयमान ग्रामीण खिलाड़ियों के भविष्य की खातिर न्यायालय ही एक रास्ता शेष रह जाता है।
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