सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया फैसला, मध्य प्रदेश सरकार और गवर्नर को भी नोटिस

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को व्यापमं घोटाला मामलों और इससे जुड़ी सभी कथित मौतों की जांच सीबीआई से कराने का आदेश दिया और केंद्र, मध्यप्रदेश सरकार तथा राज्यपाल को उस अपील पर नोटिस भी जारी किया जिसमें इस घोटाले में कथित संलिप्तता का आरोप लगाते हुए राज्यपाल को पद से हटाने की मांग की गई है। राज्य सरकार ने व्यापमं संबंधी मामलों की जांच विशेष जांच दल और विशेष कार्यबल से सीबीआई को स्थानांतरित करने के लिए अपनी सहमति दे दी थी। इसके बाद उच्चतम न्यायालय ने यह व्यवस्था दी।

न्यायालय ने केंद्र और राज्य सरकार को उस अपील पर नोटिस जारी कर उनका जवाब तलब किया है जिस अपील में मध्य प्रदेश के राज्यपाल राम नरेश यादव को घोटाले में कथित संलिप्तता का आरोप लगाते हुए हटाने की मांग की गई है। शीषर्स्थ अदालत ने राज्यपाल को भी नोटिस जारी किया है। प्रधान न्यायमूर्ति एच एल दत्तू की अगुवाई वाली पीठ ने स्पष्ट किया कि सभी मामले सोमवार से सीबीआई को स्थानांतरित कर दिए जाएंगे और एजेंसी अपनी रिपोर्ट 24 जुलाई को उसके समक्ष दाखिल करेगी।

सीबीआई को जांच का जिम्मा सौंपने से पहले उच्चतम न्यायालय ने अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी की बातों को दर्ज किया जिन्होंने मध्यप्रदेश सरकार की तरफ से कहा कि राज्य को व्यापमं घोटाले से जुड़े मामलों और इस घोटाले से कथित तौर पर संबद्ध लोगों की मौतों के मामलों की जांच, स्वतंत्र एवं निष्पक्ष तरीके से कराने के लिए सीबीआई को स्थानांतरित करने में कोई आपत्ति नहीं है।

पीठ ने कहा ‘अटॉर्नी जनरल ने निर्देश पर कहा कि मध्यप्रदेश सरकार को व्यापमं घोटाले से संबंधित आपराधिक मामलों तथा घोटाले से कथित तौर पर संबद्ध लोगों की मौत संबंधी मामलों की स्वतंत्र एवं निष्पक्ष तरीके से पड़ताल करने के लिए सीबीआई को जांच स्थानांतरित में कोई आपत्ति नहीं है।’ न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा और न्यायमूर्ति अमित्व राय की पीठ ने कहा ‘‘हम एजी के रूख की सराहना करते हैं। उपरोक्त के मद्देनजर हम व्यापमं घोटाले से संबंधित आपराधिक मामलों तथा घोटाले से कथित तौर पर संबद्ध लोगों की मौत संबंधी मामलों की जांच सीबीआई को स्थानांतरित करते हैं।’’ जब वरिष्ठ अधिवक्ता, कपिल सिब्बल, अभिषेक सिंघवी और विवेक तंका मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय में अपनायी गयी कार्यवाही की आलोचना कर रहे थे तब पीठ ने यह कहते हुए उन्हें रोका कि उच्चतम न्यायालय एक आदेश पारित कर रहा है और ऐसे में उच्च न्यायालय कैसे कार्यवाही आगे बढ़ा सकता है।

पीठ ने कहा ‘एक बार सीबीआई जब सामने आ गई तब उच्च न्यायालय कैसे कार्यवाही को आगे बढ़ा सकता है। स्पष्ट रूप से नहीं..।’ राज्यपाल से जुड़े मामले पर पीठ ने कहा कि वह केवल नोटिस जारी कर रही है जिसका जवाब चार सप्ताह में देना होगा। पीठ ने उस समय राज्यपाल पर कोई टिप्पणी नहीं की जब सिब्बल ने कहा कि यादव को पद की गरिमा बनाए रखने के लिए हट जाना चाहिए।

पीठ ने कहा ‘हम इस पर कुछ भी कहने नहीं जा रहे हैं।’ उच्चतम न्यायालय उन कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था जिनमें से एक याचिका कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने भी दाखिल की है। इन याचिकाओं में व्यापमं घोटाले से संबंद्ध सभी मामलों की सीबीआई से जांच कराने की मांग की गई है।

कोर्ट के इस रूख के बाद राज्यपाल की गद्दी खतरे में नजर आ रही है। सुप्रीम कोर्ट के इस नोटिस के बाद राज्यपाल को केंद्र हटा सकता है। गौर हो कि इस घोटाले में राज्यपाल का भी नाम आया था। गौर हो कि घोटाले से कथित तौर पर जुड़े 46 से अधिक लोग अब तक अप्राकृतिक मौत का शिकार बन चुके हैं, जिसकी वजह से देश भर में इस घोटाले की व्यापक चर्चा हो रही है। खुद शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि मामले की सीबीआई जांच से ही सभी संदेहों को विराम मिलेगा।

उच्चतम न्यायालय ने राज्यपाल संबंधी याचिकाओं से व्हिसलब्लोअरों की याचिकाओं को और कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह द्वारा दाखिल याचिका को अलग कर दिया। पांडेय की ओर से अधिवक्ता प्रशांत भूषण पेश हुए थे।

उच्चतम न्यायालय सात जुलाई को कांग्रेस नेता और तीन व्हिसलब्लोअरों की याचिका पर सुनवाई करने के लिए सहमत हो गया था जिसमें व्यापमं घोटाला मामले की शीषर्स्थ अदालत की निगरानी में सीबीआई से जांच कराने की मांग की गई है। सिंह और व्हिसलब्लोअरों .. चतुर्वेदी, डॉ आनंद राय तथा पांडेय ने उच्चतम न्यायालय से उसकी निगरानी में सीबीआई जांच कराने के लिए गुहार लगाई है। पूर्व में, वकीलों के एक समूह और आम आदमी पार्टी के नेता कुमार विश्वास ने न्यायालय से इस मामले में संज्ञान लेने का आग्रह किया था।

वकीलों के एक समूह द्वारा दाखिल याचिका में मध्यप्रदेश के राज्यपाल राम नरेश यादव को राज्य में हुए प्रवेश एवं भर्ती घोटाले में कथित संलिप्तता के आधार पर हटाने एवं मामले में उनका बयान दर्ज करने की मांग की गई है।

आप नेता ने याचिका में उच्चतम न्यायालय से इस बड़े घोटाले का संज्ञान लेने का आग्रह करते हुए कहा कि इसके सिलसिले में 45 लोगों की रहस्यतय तरीके से मौत हो चुकी है। पूर्व में उच्चतम न्यायालय ने विशेष जांच दल को मामले की जांच पूरी करने के लिए चार माह का समय और दिया था। इस विशेष जांच दल का गठन उच्च न्यायालय के आदेश के बाद किया गया था। करोड़ों रूपये के व्यावसायिक परीक्षा घोटाले में कई जाने-माने पेशेवर, राजनीतिज्ञ और नौकरशाह बतौर आरोपी शामिल हैं। यह कथित घोटाला मध्यप्रदेश व्यावसायिक परीक्षा मंडल से संबंधित है जिसके तहत शिक्षक, चिकित्सा अधिकारी, सिपाही और वन रक्षक जैसे विभिन्न पदों के लिए परीक्षाएं ली जाती हैं।