लखनऊ:  भारतीय जनता पार्टी ने कहा प्रदेश जंगल राज के दौर से गुजर रहा है। प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने आरोप लगाया कि सपाईयों के हाथो पिटती पुलिस अब ‘हत्यारी’ बनकर निरीह जनता को बेमौत मार रही है। उन्होंने बाराबंकी में पुलिस द्वारा जलाई गयी मृतका की घटना पर मुख्यमंत्री के मजिस्ट्रेटी जांच की बात को खारिज करते हुए कहा कि स्थानीय पुलिस प्रशासन के बने रहते निष्पक्ष जांच कैसे संभव हो सकेगी ? श्री पाठक ने कहा कि जब बाराबंकी के पुलिस अधीक्षक यह तो स्वीकार कर रहे है कि एस.ओ., एस.आई ने अभद्रता की, किन्तु अपने मातहतो को बचाने के लिए यह भी साबित करने पर उतारू है कि महिला ने खुद आग लगायी। पूरे प्रकरण में अखिलेश सरकार को संवेदनहीन करार देते हुए श्री पाठक ने कहा कि दोषियों को निलम्बित करते समय उनकी गिरफ्तारी क्यों नहीं की गयी ?

प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने राज्य की कानून व्यवस्था पर सवालियां निशान खड़ा करते हुए कहा कि जिन पर आमजन की सुरक्षा की जिम्मेदारी है वहीं कानून व्यवस्था को धता बताते हुए आमजन पर कहर बन कर टूट रहे है। शाहजहांपुर में पत्रकार जगेन्द्र को जलाने की आरोपी पुलिस एक बार फिर बाराबंकी में एक महिला के साथ अभद्रता करने, थाने में जलाने के आरोपों के घेरे में है। शाहजहांपुर की तरह इस प्रकरण पर भी अखिलेश सरकार बड़े चहेरों को को बचाने में जुट गयी है, अखिलेश सरकार ने आरोपियों को बचाने के लिये एक नया तरीका इजाद कर लिया है, निलम्बित कर दो फिर बाद में बहाली कर मामला ठंड़े बस्ते में डाल दो। शाहजहांपुर में भी पत्रकार के हत्या के आरोपी पुलिसकर्मी निलम्बित है उनकी गिरफ्तारी नहीं हुई, बाराबंकी में भी हत्या के आरोपी खुलेआम घूम रहे हैं, चेहरा बचाने के लिए पुलिस ने निलम्बन की कार्यवाही जरूर कर दी।

उन्होंने कहा कि अखिलेश की पुलिस के दो चेहरे है झांसी की यही पुलिस सपाईयों से पिटती है उनकी वर्दी फाड़ी जाती हैं, बिल्ले नोचे जाते है राज्य के आलाधिकारी निरीह स्थिति में है, पुलिस बल का उत्साह वर्धन केवल बयानों में नजर आता है। झांसी में सत्तारूढ़ दल के नेताओं द्वारा पिटती पुलिस का कोई पुरसाहाल नहीं है। यही पुलिस जब निरंकुश होती है और अपने राजनैतिक आकाओं का संरक्षण पाती है तो शाहजहांपुर और बाराबंकी जैसी घटनाएं करने में जुट जाती है। दोनों मामलों राज्य की सर्वोच्च सत्ता अपने-अपने कारणों से मौन है, भुगत राज्य की जनता रही है। राज्य भर में जंगल राज का माहौल है जिसकी लाठी उसकी भैंस की कहावत चरितार्थ हो रही है।

श्री पाठक ने प्रदेश सरकार से पीडि़त परिवार को 30 लाख रूपये मुआवजा, परिवार के किसी एक व्यक्ति को सरकारी नौकरी और पूरे प्रकरण की सी.बी.आई. द्वारा जांच कराये जाने की मांग की।