लखनऊ। रिहाई मचं ने जिला शामली में रियाज नाम के नौजवान को बजरंगदल के कार्यकर्ताओं द्वारा गोकशी के फर्जी आरोप में पुलिस की मौजूदगी में दो घंटे तक पूरे शहर में घुमा-घुमाकर बेल्ट, लात-घूंसों से पीटने को पूरे शहर को फिर से सांप्रदायिक हिंसा की आग में झोंकने की ताजा कोशिश बताया है। वहीं मुजफ्फरनगर में शहर कोतवाली बड़कली में गोविंद नाम के दलित युवक को पीटने, मुंह में पेशाब पिलाने और हाथों में कील ठोकने की घटना को सरकार की संरक्षण में सामंती उत्पीड़न बताया है। मंच ने चेतावनी दी है कि अगर कल तक शामली शहर के पूरे पुलिस अमले को निलंबित नहीं किया गया, बजरंगदल के गुंडों को गिरफ्तार नहीं किया गया और बेगुनाह रियाज को रिहा नहीं किया गया तो 28 जून को जीपीओ स्थित गांधी प्रतिमा, लखनऊ में प्रदर्शन के साथ ही पूरे शहर में इन घटनाओं पर नुक्कड़ सभाएं करके भाजपा और सपा के इस साम्प्रदायिक गठजोड़ को बेनकाब किया जाएगा। संगठन ने मिर्जापुर के निवासी पत्रकार अनुज शुक्ला के घर पर सपा विधायक के गुंडा तत्वों और पुलिस के सहयोग से दबंगों द्वारा जमीन कब्जा करने और घर पर आगजनी की कोशिश को प्रदेश में पत्रकारों के खिलाफ सपाई गुंडाराज का एक और उदाहरण बताया है।

रिहाई मंच प्रवक्ता शाहनवाज आलम ने कहा कि शामली में जिस तरह बेगुनाह मुस्लिम नौजवान रियाज को पूरे दो घंटे तक बजरंगदल के गुंडे पुलिस की मौजूदगी में पीटते रहे उससे स्पष्ट हो गया है कि अगस्त-सितंबर 2013 की तरह पश्चिमी यूपी को सपा और भाजपा एक बार फिर सांप्रदायिक हिंसा की आग में झोंकने की चुनावी तैयारी में जुट गई हैं। जिसकी पुष्टि इससे भी हो जाती है कि इस पूरे मामले पर शामली शहर के सीओ निशांत शर्मा ने बजरंगदल के गुंडा तत्वों के खिलाफ यह कहते हुए कार्रवाई करने से इंकार कर दिया है कि बजरंगदल के लोगों ने रियाज को पीटकर अच्छा किया है। पुलिस का बजरंगदल के प्रति नरम रुख इससे भी पता चलता है कि घटना के दो दिन बाद उसने रियाज को पीटने वाले बजरंगदल के नेताओं विवेक पे्रमी, अनुज बंसल, संदीप गर्ग, आशु नामदेव, दीपू गिरी, सचिन गर्ग पर धारा 147, 323, 404 जैसी मामूली धाराएं लगाई हैं जबकि रियाज को बंधक बनाकर पीटे जाने के आपराधिक कृत्य का वीडियो भी वाइरल हो चुका है पर पुलिस ने उसके खिलाफ 342 और 353 ए जैसी ऐसे अपराध के लिए उपयुक्त धाराएं नहीं लगाई और न ही उन्हें गिरफ्तार तक किया गया।

रिहाई मंच नेता राजीव यादव ने कहा कि शामली में पुलिस ने जिस तरह से बजरंगदल को सरंक्षण देकर एक मुस्लिम युवक को पीटने और सांप्रदायिक आधार पर पूरे शहर में पूरे मुस्लिम समुदाय को गालियां देने की खुली छूट दी वहीं रियाज को थाने पकड़कर ले जाने के बाद एक गाय के बछड़े को शामली पुलिस ने प्रबंध कर झूठा केस तैयार किया वह यूपी पुलिस द्वारा सांप्रदायिकता फैलाने की प्रतिबद्धता की मिसाल है। जबकि रियाज को पीटे जाने का वीडियो जो वायरल हो चुका है उसमें कहीं पर भी कोई गाय या गाय का बछड़ा नहीं है। उन्होंने कहा कि पूरा पुलिसिया अमला बजरंगदल में तब्दील हो गया है। जिससे मुसलमानों, दलितों और अमन पसंद जनता में दहशत का माहौल है। मुजफ्फरनगर के शहर कोतवाली के बडि़कली में गोविन्द नाम के युवक को जिस तरह से पीट-पीटकर, हाथों में कील और मुंह में पेशाब करने की घटना सामने आई है वह यह साबित करती है कि सपा अपने गुंडा तत्वों को खुली छूट देकर जाति हिंसा और सांप्रदायिक हिंसा की दहशत का माहौल बना रही है। इस छूट का नतीजा पिछले दिनों मुरादाबाद में भी दिखा जब एक बीजेपी पार्षद  ने हिंदू इलाके के मुस्लिम परिवार को मुहल्ले में नहीं रहने देने की धमकी दी और यहां तक कहा कि अगर मुसलमान यहां रहता है तो वे उन पर गोलियां बरसवा देंगे। पुलिस ने मुस्लिम परिवार को सुरक्षा मुहैया कराने के बजाए भाजपा नेता के दबाव में मुस्लिम परिवार के घर पर ही ताला बंद कर दिया है।