लखनऊ। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के आदेश के तीन दिन बाद लखनऊ के बड़े  इमामबाडे का ताला खुल गया। शुक्रवार को मध्यरात्रि में 22 दिन बाद ताला तब खुला जब सरकार ने शिया धर्म गुरु मौलाना कल्बे जवाद की तीन शर्तों पर हामी भर दी।

बड़ा इमामबाड़ा का ताला खुलवाने को मौलाना कल्बे जवाद के पास प्रमुख सचिव सूचना नवनीत सहगल के साथ जिलाधिकारी राजशेखर व एसएसपी राजेश पांडेय भी पहुंचे थे। मौलाना कल्बे जवाद से बातचीत के बाद ताले खुल पाए। ताला खुलने के बाद मौलाना और सैकड़ों समर्थक मातम करते हुए इमामबाड़े के अंदर चले गए।

जिलाधिकारी राजशेखर के मुताबिक कल्बे जवाद की तीन प्रमुख मांगें मान ली गई हैं। इसमें, हुसैनाबाद ट्रस्ट की निगरानी केलिए कमेटी बनेगी, जिसमें शिया सदस्यों को शामिल किया जाएगा। शियों को धार्मिक स्थलों की पवित्रता बनाए रखने का अधिकार होगा व सामने की सड़क पर अपने धार्मिक और पोस्टर कार्यक्रम तक लगाने की इजाजत रहेगी। मौलाना ने प्रशासन को ईद के एक सप्ताह बाद तक वसीम रिजवी को चेयरमैन पद से हटाने का समय दिया है। अगर सरकार वसीम रिजवी को नहीं हटाती है तो फिर हजरतगंज जाम करने की चेतावनी दी। उधर प्रशासनिक अधिकारियों का कहना था कि इमामबाड़े पर पड़े ताले को बल प्रयोग से खुलवाने से रमजान के दौरान शहर की शांति-व्यवस्था बिगडऩे का खतरा पैदा हो सकता है। अति संवेदनशील मामले में सावधानी और संयम बरतते हुए प्रशासन इसे शिया समुदाय से बातचीत के जरिये सुलझाने की कोशिश की, जिससे कि हाईकोर्ट के आदेश का अनुपालन शांतिपूर्ण माहौल में सुनिश्चित कराया जा सके।