औरंगाबाद। मानसून की अच्छी शुरूआत के बावजूद भारत में ज्यादातर खाने की चीजों की कीमतों भारी उछाल है। थोक व्रिकेताओं को अप्रत्याशित लाभ, लेकिन केन्द्रीय बैंक और सरकार के लिए सबसे बड़ा सिरदर्द अर्थव्यवस्था को दोबारा पटरी पर लाना। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर रघुराम राजन पहले विकास को बढ़ावा देने के लिए 1 साल में तीन बार ब्याज दरों में कटौती कर चुके है।
राजन ने पिछले दिनों चेतावनी देते हुए कहा था कि अगर कमजोर बारिश चलते जरूरती चीजों की कीमतें बढ़ती है तो वह दोबारा ब्याज दर में कटौती नहीं करेंगे। हालांकि मुंबई के बांड और शेयर व्यापारी भारी बारिश की संभावना को छोड़ चुके हैं लेकिन मुंबई से 330 किलोमीटर पूर्व औरंगाबाद के एक बाजार में हलचल देख जा रही है। थोक व्यापारी शेख शरीफ ने कहा, मानसून को ट्रक करने की आवश्यकता नहीं। उन्होने कहा कि कीमतें बढ़ने से बारिश को कोई लेना देना नहीं।
42 वर्षीय शरीफ ने कहा, व्यापारियों ने माल को अपने गोदामों में जमा कर रखा हैं। जिसके तहत लहसुन और प्याज का अधिक स्टोक किया हुआ है। इस साल पहले भारी बारिश और आलों से किसानों की फैसलें खराब हो चुकी हैं। किसान इस नुकसान की तुरंत भरपाई नहीं कर पाएंगे।
उन्होंने कहा, सब्जियों की कीमतों में बढ़ोत्तरी के बावजूद भरपूर सप्लाई अच्छे मानसून पर निर्भर है। अगर मानसून विफल रहता है “तो क ीमतों में बंपर बढ़ोत्तरी हो सकती है।” भारत में दलहन, सब्जियां और चिकन के मूल्य सूचकांक में 12 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है। इससे आरबीआई के सामने बढ़ती कीमतों को रोकना एक बड़ा और महत्वपूर्ण चैलेज है।
जबकि इस वर्ष से पहले देश की मुद्रास्फीति लक्ष्य का अनावरण किया था जिसके तहत उपभोक्त मूल्य में 2 से 6 प्रतिशत बढ़ा है।
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