नई दिल्ली : योग के महत्व पर आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि योग जीवन को जी भरकर जीने की जड़ी-बूटी है। अगर इसे बिकने वाला माल या ‘बपौती’ बनाया तो सबसे ज्यादा नुकसान योग का ही होगा।

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर राजपथ पर लगभग 37 हजार लोगों के साथ योग करने के बाद मोदी ने विज्ञान भवन में योग के महत्व पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय योग सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, ‘दुनिया में कोई इंसान ऐसा नहीं है जो जी भरकर या भरपूर जीवन जीना नहीं चाहता हो और योग जीवन को जी भरकर जीने की जड़ी-बूटी है।’ 

उन्होंने कहा कि योग का दृष्टिकोण मानवता के लिए सौहार्दपूर्ण जीने की जीवनशैली है। कई लोग योग को व्यवस्था के रूप में देखते हैं। पर योग व्यवस्था नहीं अवस्था है। उन्होंने कहा कि योग एकात्मता के भाव को आगे बढ़ाता है। यह लालच और हिंसा के भाव को नियंत्रित करता है। यह परिवार, समाज और देशों में गलतफहमी और द्वेष को दूर करता है।

इस सम्मेलन में सउदी अरब, कतर, मलेशिया जैसे कई मुस्लिम बहुल आबादी वाले देशों सहित 36 देशों के प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं। पहले अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री ने दो स्मारक सिक्के और एक स्मारक डाक टिकट का लोकार्पण भी किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि अब योग के बारे में विश्व की अपेक्षाएं हमसे बहुत बढ़ जायेंगी और हमारा दायित्व है कि विश्व की अपेक्षाओं के अनुरूप हम इसे आगे बढ़ायें और बिकने वाली वस्तु न बनने दें।

उन्होंने आगाह किया, ‘योग को कमोडिटी बना दिया तो योग का ही सबसे बड़ा नुकसान होगा। योग को आगे बढ़ाने में दुनिया के अन्य क्षेत्र के लोगों का योगदान भी है। हम उनके भी आभारी है। हम इसे अपनी बपौती बना कर नहीं रखें। यह मानव का है।’ मंच पर बैठे योग गुरु बाबा रामदेव की खिलखिलाहट के बीच मोदी ने हास्य विनोद के अंदाज में कहा कि योग को शुद्ध घी की दुकान की तरह न बनाएं और शुद्ध घी की तरह ऐसे दावे न हो कि ‘मेरा योग उसके योग से अधिक शुद्ध है।’ 

आध्यात्मिक गुरु श्री अरविंद का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि आज से 75 साल पहले वह पंथ एवं अन्य चीजों से ऊपर उठकर योग को जन-जन तक पहुंचने का सपना देखा करते थे और उन्हें उम्मीद थी कि एक दिन देश दुनिया योग को अपनाएगी।