मात्र 0.35 प्रतिशत लोगों ने ही छोड़ी एलपीजी सब्सिडी  

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने करीब तीन माह पहले लोगों से रसोई गैस सिलेंडर सब्सिडी छोड़ने का आह्वान किया था, लेकिन अभी तक मात्र 0.35 प्रतिशत लोगों ने ही एलपीजी सब्सिडी छोड़ी है। पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान की अध्यक्षता में पिछले सप्ताह हुई समीक्षा बैठक में यह बात सामने आई कि अभी तक 15.3 करोड़ एलपीजी उपभोक्ताओं में से मात्र 5.5 लाख ने ही स्वैच्छिक तरीके से एलपीजी सब्सिडी लेना बंद किया है। एक शीर्ष अधिकारी ने यह जानकारी दी।

प्रधान खुद जनवरी से संपन्न लोगों से रसोई गैस सिलेंडर के लिए सब्सिडी लेना बंद करने को कह रहे हैं। प्रधानमंत्री ने मार्च में आधिकारिक तौर पर सब्सिडी छोड़ो अभियान शुरू किया था। अधिकारी ने बताया कि इस बारे में सभी सांसदों, विधायकों, सरकारी अधिकारियों और सार्वजनिक क्षेत्र के कार्यकारियों से अपील की गई है, लेकिन उनकी प्रतिक्रिया उत्साहवर्धक नहीं है।

अधिकारी ने बताया कि सत्ताधारी दल सहित विभिन्न दलों के बहुत से सांसदों ने एलपीजी सब्सिडी लेना बंद नहीं किया है। इसके अलावा विधायकों का रख भी उत्साहवर्धक नहीं है। मोदी द्वारा शुरू किए गए अभियान को सफल बनाने के लिए प्रधान काफी प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने व्यक्तिगत रूप से कई अति विशिष्ट लोगों को फोन कर एलपीजी सब्सिडी छोड़ने को कहा है। जारी

प्रधान की अपील के बाद वित्त मंत्री अरण जेटली सहित कई मंत्रियों और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सब्सिडी वाला एलपीजी सिलेंडर लेना बंद कर दिया है। लेकिन यह अभियान अभी तक वांछित सफलता हासिल नहीं कर सका है। उपभोक्ताओं को अभी साल भर में 14.2 किलोग्राम के 12 या पांच किलोग्राम वाले 34 सिलेंडर सब्सिडी वाली दरों पर मिलते हैं। दिल्ली में 14.2 किलोग्राम के सब्सिडी वाले सिलेंडर का दाम 417 रपये व पांच किलोग्राम के सिलेंडर का दाम 155 रुपये है। 14.2 किलोग्राम के सिलेंडर की बाजार कीमत 625.50 रपये व पांच किलोग्राम की 220 रुपये है।

एलपीजी सब्सिडी छोड़ने से सरकार के सब्सिडी बिल में काफी कमी आ सकती है। बीते वित्त वर्ष में ईंधन सब्सिडी 36,580 करोड़ रपये रही थी। 2015-16 के बजट अनुमान में चालू वित्त वर्ष में पेट्रोलियम सब्सिडी को अनुमानित 60,270 करोड़ रपये से घटाकर 30,000 करोड़ रपये किया गया है। इस 30,000 करोड़ रुपये की सब्सिडी में से 22,000 करोड़ रपये एलपीजी के लिए और शेष मिट्टी के तेल के लिए रखे गए हैं।