लखनऊ: राज्य सरकार ने समाचार पत्र में छपी उस खबर का खण्डन किया है जिसमें जनपद बरेली का हवाला देते हुए कहा गया है कि तहसीलों के 200 से अधिक नमूने जांच में पोलियो जैसे लक्षणों के प्रति पाॅजिटिव पाए गए, जिससे स्वास्थ्य विभाग में खतरा महसूस हो रहा है। इसी रिपोर्ट में बरेली के मुख्य चिकित्सा अधिकारी के हवाले से कहा गया है कि 208 स्टूल के नमूने एकत्रित किए गए, जिसमें से 170 नमूनों की लैब रिपोट्र्स प्राप्त हुई हैं और ये सभी जांच में निगेटिव पाई गईं। शेष 38 नमूनों की रिपोर्ट आना बाकी है। इसी प्रकार की खबर एक अन्य अखबार में भी प्रकाशित हुई है।

प्रमुख सचिव चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के अनुसार इस प्रकार के समाचार खतरा पैदा करते हैं और इनसे यह प्रतीत होता है कि उत्तर प्रदेश में पोलियो लौट रहा है। ऐसे समाचारांे को निराधार, असत्य, भ्रामक और तथ्यों से परे बताते हुए कहा गया है कि 15 वर्ष की आयु तक Acute Flaccid Paralysis (AFP) की निगरानी किया जाना पोलियो वायरस के पुनः वापस आने की पहचान के लिए एक रूटीन प्रक्रिया है। 

उत्तर प्रदेश में 2013 में ए0एफ0पी0 प्रकरणों की संख्या 17,772 थी। 2014 में यह संख्या 17,598 रही तथा 2015 में 5,551 हो गई। यह गणना 13 जून, 2015 तक की है। 

बरेली जनपद से 01 जनवरी, 2015 से लेकर पिछले सप्ताह तक कुल 208 ए0एफ0पी0 केसेज रिपोर्ट किए गए, जिनमें से 176 को लैब रिपोर्ट की पुष्टि के बाद नाॅन पोलियो वर्गीकृत किया गया। शेष 32 प्रकरणों का वर्गीकरण अभी नहीं हो सका है, क्योंकि इनकी लैब रिपोर्ट अभी प्राप्त नहीं हो सकी है।