जोधपुर: यौन शोषण मामले में जोधपुर सेशन कोर्ट ने आज (शनिवार) आसाराम की जमानत याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने फैसला कल सुरक्षित रख लिया था।

आसाराम के वकील सुब्रमण्यम स्वामी ने कल (शुक्रवार) कोर्ट के समक्ष दलीलें पेश करते हुए आसाराम के लिए जमानत मांगी थी, जो यौन उत्पीड़न के आरोप में जेल में बंद हैं। जमानत याचिका पर दलीलें लगभग एक घंटे तक चलीं जिसके बाद कोर्ट ने फैसला 20 जून तक के लिए सुरक्षित रख लिया था।

दलीलों के बाद स्वामी ने कहा था कि उन्होंने अपनी तरफ से सर्वश्रेष्ठ प्रयास किया है और उम्मीद करते हैं कि फैसला आसाराम के पक्ष में होगा। उन्होंने कहा था, मैंने यह साबित करने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास किया है कि आसाराम को फंसाया गया है और उन्हें पारिस्थितिजन्य साक्ष्य के आधार पर जेल में रखा गया है। स्वामी ने पहले आसाराम से एक आवेदन पर हस्ताक्षर कराए जिसमें उन्हें आरोपी की तरफ से मामले में दलीलें पेश करने की अनुमति दी गई। भाजपा नेता और आसाराम के वकील स्वामी ने कहा कि यदि जमानत नहीं मिली तो वह हाईकोर्ट जाएंगे। उन्होंने कहा, मैं उनकी जमानत सुनिश्चित करूंगा क्योंकि वह इसके हकदार हैं।

अभियोजन पक्ष के वकील पीसी सोलंकी ने जमानत याचिका पर आपत्ति जताते हुए कोर्ट से परिस्थितियों पर विचार करने का आग्रह किया जिनके तहत अपराध किया गया। दलीलें सुनने के बाद अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश मनोज कुमार व्यास ने कहा था कि इस मामले में फैसला 20 जून को सुनाया जाएगा।

बाद में संवाददाताओं से बातचीत में सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा था, आसाराम को धर्म विरोधी एजेंडे के निहित स्वार्थों के चलते धर्म और मानवता के प्रति सेवा को बढ़ावा देने के उनके प्रयासों की कीमत चुकानी पड़ी है। स्वामी ने 23 अप्रैल को आसाराम से जेल में मुलाकात की थी और उन्हें उनकी जमानत के लिए आग्रह करने का आश्वासन दिया था। लेकिन वरिष्ठ भाजपा नेता पूर्व चार अवसरों पर कोर्ट के समक्ष पेश होने में विफल रहे थे।

स्वयंभू संत आसाराम (73) वर्तमान में जेल में बंद हैं। उन्हें एक नाबालिग लड़की के यौन उत्पीड़न के आरोप में सितंबर 2013 में गिरफ्तार किया गया था।