नई दिल्ली: ललित मोदी को पासपोर्ट लौटाए जाने के मुद्दे पर वित्त और विदेश मंत्रालय के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है। दरअसल, ललित मोदी का पासपोर्ट 2010 में वापस ले लिया गया था, जिसे पिछले साल अगस्त में दिल्ली हाईकोर्ट ने बहाल कर दिया, लेकिन कोर्ट के इस आदेश के खिलाफ सरकार ने अपील नहीं की।
जहां वित्त मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि अपील का फैसला विदेश मंत्रालय को लेना था, वहीं विदेश मंत्रालय के सूत्र बता रहे हैं कि यह फैसला प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी को करना था, क्योंकि यह केस ईडी ही लड़ रहा था, जो वित्त मंत्रालय के अधीन आता है।
जिस तरह के आरोप-प्रत्यारोप प्रवर्तन निदेशालय और विदेश मंत्रालय के बीच देखे जा रहे हैं, उससे लग रहा है कि सुषमा स्वराज अकेली पड़ रही हैं, क्योंकि कल तक केंद्र सरकार उनके साथ खड़ी थी।
वहीं पूर्व विदेश सचिव सुजाता सिंह ने कहा है कि उन्हें इस मामले की कोई जानकारी नहीं है। इससे यह बात भी सामने आ रही है कि क्या विदेशमंत्री ने अपने स्तर पर इस मामले को आगे बढ़ाया।
उधर, कांग्रेस की तरफ से आरोप लग रहे हैं कि सुषमा की तरफ से जो मदद दी गई वह पीएमओ की मदद के बिना नहीं दी जा सकती, लेकिन अब जो तथ्य समाने आ रहे हैं, उससे लगता है कि ये वित्त और विदेश मंत्रालयों के बीच का मामला है।
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