इस्लामाबाद: भारत के हितों की रक्षा के सिलसिले में पाकिस्तान को भारतीय केंद्रीय राज्यमंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ के धमकी भरे संदेश पर पाकिस्तानी उर्दू मीडिया में तीव्र प्रतिक्रिया हो रही है। 

दैनिक ‘एक्सप्रेस’ लिखता है कि भारत ने बर्मा में घुस कर कार्रवाई की हो या ना की हो, लेकिन उनके अहम मंत्री जो कुछ कह रहे हैं, उससे कई ख़तरों की निशानदेही होती है। अख़बार ने जहां भारत के किसी भी आक्रामक कदम का मुंह तोड़ जबाव देने वाले पाकिस्तानी सेना के बयान को सराहा है, वहीं भारत पर दक्षिण एशिया में जंग के हालात पैदा करने का इल्ज़ाम भी लगाया है। 

वहीं दैनिक ‘जसारत’ कहता है कि जहां तक पाकिस्तान में घुसकर हमले की बात है तो ये हिमाकत भारत को बहुत महंगी पड़ेगी।  अख़बार के मुताबिक़ भारत शायद ये भूल गया है कि पाकिस्तानी भी परमाणु हथियारों से लैस है और ये हथियार अल्मारी में सजाने के लिए नहीं होते हैं। 

अख़बार आरोप लगाते हुए लिखता है कि भारत ने जो कुछ पूर्वी पाकिस्तान में किया था, वही अब वो मौजूदा पाकिस्तान में कर रहा है, मसलन वहां मुक्ति बहिनी को हथियार और ट्रेनिंग देने के साथ-साथ भारतीय फौजी भी उतारे गए थे तो यहां बलूचिस्तान में दहशतगर्दी को हवा दी जा रही है। 

उधर दैनिक ‘दुनिया’ की राय है कि ये बात तो साफ़ हो चुकी है कि भारत ना तो पाकिस्तान को आर्थिक रूप से तरक्की करते हुए देखना चाहता है और ना हीं यहां दहशतगर्दी का ख़ात्मा उसकी ख़्वाहिश हो सकती है. ‘नवा-ए-वक़्त’ लिखता है कि इस वक़्त पाकिस्तान की संप्रभुता को चारों तरफ़ से ख़तरा है। 

अख़बार के मुताबिक़ भारत तो पाकिस्तान की अंदरूनी कमज़ोरियों का फ़ायदा उठाने की ताक में बैठा ही रहता है, लेकिन बांग्लादेश, ईरान और अफ़ग़ानिस्तान की तरफ़ से भी हवा का कोई ठंडा झौंका नहीं आ रहा है।  अख़बार कहता है कि ऐसे में देश की जनता प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ से यही जानना चाहती है कि उन्होंने देश की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए क्या क़दम उठाए हैं।