नई दिल्ली: दिल्ली के पूर्व कानून मंत्री जितेंद सिंह तोमर को फर्जी डिग्री केस में अंतरिम जमानत देने से साकेत कोर्ट ने इनकार कर दिया है। तोमर ने बुधवार को कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिस पर आज सुनवाई हुई। पूर्व कानून मंत्री जितेन्द्र सिंह तोमर की फर्जी डिग्री मामले में जमानत के लिए अपील पर सुनवाई 16 जून तक के लिए टाल दी  । अंतरिम जमानत के लिए तोमर का आग्रह खारिज करते हुए अदालत ने कहा कि वर्तमान परिस्थितियों में इससे मामला और ‘उलझ’ जाएगा ।

बुधवार को अदालत में दायर अपने आवेदन में तोमर ने आरोप लगाया था कि पुलिस ने कानून के तहत निर्धारित प्रक्रिया का उल्लंघन कर उन्हें गिरफ्तार किया है। बार काउंसिल ऑफ दिल्ली (बीसीडी) ने तोमर के खिलाफ बतौर वकील अपने पंजीकरण के लिए शैक्षणिक डिग्रियों समेत दस्तावेजों में कथित रूप से फर्जीवाड़े की शिकायत दर्ज करायी थी।

इस शिकायत के आधार पर दर्ज प्राथमिकी पर दिल्ली पुलिस ने तोमर (49) को गिरफ्तार किया। उसके बाद अदालत ने चार दिन के लिए पुलिस हिरासत में भेज दिया था। पुलिस ने यह कहते हुए उनकी हिरासत मांगी थी कि कानून की डिग्री से संबधित शैक्षणिक दस्तावेज फर्जी हैं और उनकी शैक्षणिक योग्यता का पता लगाने के लिए उन्हें उत्तर प्रदेश के फैजाबाद व बिहार के भागलपुर ले जाने की जरूरत है।

तोमर का दावा है कि उन्होंने 1988 में यहां से बीएससी की, जिसकी डिग्री 2011 में निकाली। लेकिन जब पुलिस ने तोमर का विश्‍वविद्यालय के अधिकारियों से सामना कराया तो तोमर कोई ठोस दलील नहीं दे सके। अवध विश्‍वविद्यालय के प्रवक्ता यू.एन. शुक्ला ने तोमर के दावे को खारिज करते हुए फिर कहा कि विश्‍वविद्यालय में तोमर की डिग्री से जुड़ा कोई भी दस्तावेज मौजूद नहीं है, यानी स्नातक की डिग्री फर्जी है। फैजाबाद के बाद पुलिस तोमर को बिहार के मुंगेर और भागलपुर ले जाएगी, जहां उनकी लॉ की डिग्री की तस्दीक की जाएगी। तोमर अब भी दावा कर रहे हैं कि उनकी लॉ और स्नातक की डिग्री फर्जी नहीं है, उनका कहना है कि ये पूरी साजिश केंद्र सरकार की है।