नई दिल्ली। भारतीय वनडे टीम के कप्तान महेन्द्र सिंह धोनी और बल्लेबाज सुरेश रैना खुद भले ही करोड़ों रूपये कमाते हो लेकिन अपनी हॉकी टीम के खिलाडियों के पैसे देने में पीछे हैं। धोनी की इंडियन हॉकी लीग में रांची रेज में हिस्सेदारी है जबकि रैना यूपी विजार्ड्स के सहमालिक है। फरवरी में खेले गए इस टूर्नामेंट को धोनी की टीम रांची रेज ने जीता था लेकिन तीन महीने बीतने के बाद भी खिलाडियों के पैसे अभी तक नहीं चुकाए गए हैं।

एक अंग्रेजी अखबार के अनुसार रांची टीम के खिलाडियों के 2 से तीन करोड़ रूपये बकाया है। इनके अलावा यूपी टीम के खिलाडियों के भी इतने की पैसे बकाए हैं। इन दोनों टीमों में सहारा सहमालिक है। एचआईएल में एक टीम 24 खिलाडियों को साइन कर सकती है और इनमें से 10 विदेशी खिलाड़ी होते हैं। खिलाडियों को पैसों का भुगतान टुकड़ों में किया जाता है और टीम के अंतिम मैच से पहले या इसके बाद एक सप्ताह के अंदर अंतिम किश्त दे देनी चाहिए। लेकिन रांची टीम के कई विदेशी खिलाडियों को अपने बकाए का अभी भी इंतजार है और कोचिंग स्टाफ को भी केवल 50 फीसदी भुगतान किया गया है।

यूपी विजार्ड्स टीम के कोच रोलेंट ऑल्टमेंस का कहना है कि उनका वेतन बकाया है लेकिन वे चिंतित नहीं है। टीम मालिक देर-सवेर भुगतान कर देंगे। हालांकि उन्होंन कहाकि खिलाडियों के बकाए के बारे में उन्हें जानकारी नहीं। बताया जा रहा है कि कई खिलाड़ी लीग से बाहर कर दिए जाने के डर के चलते इस बारे में बात नहीं कर रहे हैं। उन्हें आशंका है कि इसके चलते राष्ट्रीय टीम से उनकी छुट्टी हो जाएगी।

इस लीग की शुरूआत 2013 में हुई थी लेकिन वित्तीय संकट के चलते 2014 में रांजी राइनोज और मुम्बई मैजिशियंस टीम लीग से अलग हो गई। इनके अलावा अन्य टीमें भी कमाई के स्त्रोतों की कमी के चलते आर्थिक संकट से जूझ रही है। टूर्नामेंट के दौरान प्रत्येक टीम को 12-14 करोड़ रूपये खर्च करने होते हैं। ऑस्ट्रेलिया के ट्रेंट मिटन सबसे महंगे खिलाड़ी हैं और उन्हें 42 लाख रूपये में रांची ने खरीदा था।