लखनऊ: पूर्व रक्षामंत्री व समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने कहा कि वह अंग्रेजी पढ़ने और पढ़ाए जाने के विरोधी नहीं हैं, बल्कि उसे अनिवार्य किए जाने के विरोधी हैं। हिन्दी के स्थान पर अंग्रेजी को बढ़ावा दिए जाने से गैर बराबरी बढ़ेगी। मुलायम सिंह आज यहां ताज होटल सभागार में आयोजित राज्य सरकार के ‘साहित्य शिरोमणि’ सम्मान में बोल रहे थे।
पूर्व रक्षामंत्री यादव ने अपने संबोधन में कहा कि सरकारी विभागों और न्यायालयों के कामकाज में हिन्दी का प्रयोग होना चाहिए। इससे आम जनता आसानी से यह समझ सकेगी कि उसके साथ न्याय हो रहा है या नहीं? न्यायालय में हिन्दी में बहस होने पर गांव से आने वाला मुवक्किल भी अपने वकील को अपने पक्ष में कही जाने वाली बातें बता सकता है। इसी तरह हिन्दी को बढ़ावा दिए जाने से गांव के किसान-मजदूर का बेटा भी आगे बढ़ सकता है। अंग्रेजी के इस्तेमाल से गैर बराबरी बढ़ती है, जबकि हिन्दी व उर्दू के प्रयोग से एकता व भाईचारा मजबूत होता है।
यादव ने सम्मानित होने वाले दोनों साहित्यकारों को महान हिन्दी सेवी बताते हुए उनसे अपने आत्मीय संबंधों को याद किया। उन्होंने कहा कि डॉ. लोहिया अंग्रेजी के बड़े विद्वान थे लेकिन संसद में उन्होंने कभी अंग्रेजी नहीं बोली। वह भारतीय भाषाओं की मजबूती के पक्षधर थे।
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