हिम्मत है तो जांच कराएं अखिलेश: डा0 चन्द्रमोहन

लखनऊ: भारतीय जनता पार्टी ने कहा कि पूर्ववर्ती मायावती सरकार के कार्यकाल में हुआ राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (एनआरएचएम) के तीन हजार करोड़ रुपए के घोटाले से कहीं ज्यादा बड़ा भ्रष्टाचार समाजवादी पार्टी (सपा) शासनकाल में लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) में हुआ है। 

प्रदेश पार्टी मुख्यालय पर पत्रकारों से चर्चा करते हुए प्रदेश प्रवक्ता डा0 चन्द्रमोहन ने कहा कि पिछले तीन वर्षों के दौरान पीडब्ल्यूडी को 40 हजार करोड़ से अधिक का बजट सडकों के रखरखाव के लिए मिला है लेकिन आलम यह है कि पूरे प्रदेश में सडकों की हालत बद से बदतर होती जा रही है। जर्जर सडकें रोज हादसों को दावत दे रही हैं। केवल मुख्यमंत्री के सैरसपाटे के लिए उपयोग में आने वाली लखनऊ एयरपोर्ट से लेकर पॉलीटेकनिक तक की सडक को छोड़ दें तो प्रदेश में कोई भी सडक गड्ढामुक्त नहीं है। 

प्रदेश प्रवक्ता डा0 चन्द्रमोहन ने कहा कि मुख्यमंत्री के चाचा और प्रदेश के लोक निर्माण मंत्री शिवपाल सिंह यादव दावा करते हैं कि अगर किसी सडक में गड्ढे मिले तो वह जिम्मेदार इंजीनियर को गड्ढे में फेंक देंगे। पहले शिवपाल खुद बताएं कि वह मंत्री बनने के बाद कितनी बार सडके के रास्ते दूसरे जिलों के भ्रमण पर निकले हैं। केवल हेलीकॉप्टर और हवाई जहाज से दौरे करने वाले लोक निर्माण मंत्री को ऊपर से सभी सडकें तो चकाचक दिखेंगी ही। प्रदेश के एक दर्जन मंडलों में पुलों का काम अभी भी अधूरा है। सबसे ज्यादा कानपुर मंडल में कुल 12 पुल अधूरे पड़े हैं। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सत्ता संभालते ही यूपी के सभी जिला मुख्यालयों को फोर लेन से जोडने की बात कही थी लेकिन अभी तक दस फीसदी काम भी नहीं पूरा हो पाया है। 

प्रदेश प्रवक्ता डा0 चन्द्रमोहन ने कहा कि हर वर्ष पीडब्ल्यू हजारों करोड़ रुपए सडकों के निर्माण के नाम पर खर्च कर रहा है। मुख्यमंत्री के भीतर जरा भी साहस है तो वह लोक निर्माण विभाग से सडकों के निर्माण और उनके रखरखाव के बारे में हिसाब मांगे। मात्र इससे ही मुख्यमंत्री अपने चाचा के विभाग में हो रहे भ्रष्टाचार पर से पर्दा उठा सकेंगे। लोक निर्माण विभाग में फैले भ्रष्टाचार का आलम यह है कि शिवपाल सिंह यादव के चहेते ठेकेदार नियमों को दरकिनार कर सडकों के निर्माण में न तो विभागीय मशीनों का उपयोग कर रहे हैं और न ही विभागीय हॉट मिक्स प्लांटों का।

प्रदेश प्रवक्ता डा0 चन्द्रमोहन ने कहा कि कंपनियों और ठेकेदारों के रसूख के आगे विभागीय इंजीनियर पस्त हैं। कार्यवाही के डर से कोई भी विभाग में हो रहे भ्रष्टाचार के विरुद्ध आवाज उठाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है। इतना ही नहीं पीडब्ल्यूडी ने गाजीपुर में 18 वर्ष के कम उम्र के बच्चों को स्थाई नौकरी देकर भ्रष्टाचार पर उठ रहे सवालों पर मुहर लगाई है। सरकार अगर जनता के प्रति जरा भी गंभीर है तो उसे फौरन पीडब्ल्यूडी में हो रहे घोटाले की किसी सक्षम एजेंसी से जांच करानी चाहिए। अगर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ऐसा नहीं करते हैं तो इससे यही संकेत जाएगा कि अपने चाचा के विभाग में फैले भ्रष्टाचार पर उनकी भी सहमति है।