चंडीगढ़: कारगिल शहीद कैप्टन सौरभ कालिया के मामले में केंद्र सरकार ने कहा है कि अगर सुप्रीम कोर्ट इजाज़त दे तो वह पाकिस्तान के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय अदालत में जाने को तैयार है। रविवार को रेडियो पर मन की बात में सैनिकों को लेकर प्रधानमंत्री मोदी के सन्देश के बाद शहीद के परिवार ने इस मामले में बीजेपी पर पिछली कांग्रेस सरकार जैसे बर्ताव करने का आरोप लगाने के बाद विदेश मंत्रालय कि तरफ से ये सफाई आयी है।

मोदी सरकार पिछले साल जुलाई में ही अपनी मंशा साफ़ कर चुकी है। संसद में इस सिलसिले में पूछे गए एक सवाल के जवाब में विदेश राज्य मंत्री वी.के. सिंह ने दो टूक कह दिया था कि हम इस मामले को संयुक्त राष्ट्र संघ और मानवाधिकार आयोग में उठा चुके हैं, कानूनी विकल्प भी तलाशे गए लेकिन मामले की अंतरराष्ट्रीय अदालत में पैरवी मुमकिन नहीं।

शहीद के पिता एन.के. कालिया ने कहा कि जिस समय यह दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना हुई तो उस समय की बीजेपी सरकार के प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री व रक्षामंत्री ने इतना भरोसा दिलाया था कि इस केस को हम पकिस्तान व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी उठाएंगे। परन्तु 16 साल के लम्बे अन्तराल के अनुभव से यह लगता है कि सरकार ने इसके ऊपर उचित कार्रवाई नहीं की है।

अब फजीहत से बचने के लिए विदेश मंत्रालय ने गेंद सुप्रीम कोर्ट के पाले में डाल दी है. विदेश मंत्रालय कि तरफ से जारी बयान में कहा गया कि चूंकि भारत और पाकिस्तान दोनों राष्ट्रमंडल के सदस्य हैं इसलिए दोनों देश अंतरराष्ट्रीय अदालत के ज़रिये विवादों का निपटारा नहीं कर सकते। शहीद कप्तान कालिया के मामले में सरकार का ये रुख 26 सितम्बर 2013 को सुप्रीम कोर्ट के सामने रखा गया था। मौजूदा सरकार ने इस मामले पर पुनर्विचार किया है। इसे विशेष मामला मानते हुए सरकार अब सुप्रीम कोर्ट से निर्देश मांगेगी और कोर्ट हरी झंडी मिलने पर अंतरराष्ट्रीय अदालत में पैरवी करेगी।